प्रधानमंत्री के इस्राइल दौरे पर हो सकते हैं बड़े रक्षा करार
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगामी इस्राइल दौरे के दौरान भारतीय नौसेना के लिए वायु रक्षा प्रणाली की खरीद समेत कई बड़े रक्षा सौदे हो सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली इस्राइल यात्रा होगी। प्रधानमंत्री की जुलाई में संभावित इस यात्रा के बारे में इस्राइली राजदूत डेनियल कैरमन ने कहा कि यह एक ‘बड़ी’ यात्रा होगी, जो विभिन्न क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच के सहयोग की गहराई को दर्शाएगी।
ऐसी संभावना है कि नौसेना के लिए बराक-8 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की खरीद का सौदा और भारतीय नौसेना के लिए स्पाइक टैंक-रोधी मिसाइलों की खरीद का सौदा मोदी की तेल अवीव यात्रा के दौरान किया जा सकता है। इस्राइली राजदूत डेनियल कैरमन ने कहा, ”भारत और इस्राइल के संबंध पर्याप्त तौर पर बड़े हैं। यदि यह यात्रा होती है तो यह बेहद अहम रहेगी। यह पिछले कई साल में की गई इस्राइल की सबसे अहम यात्राओं में से एक होगी।” मोदी की इस्राइल यात्रा का समय दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्तों की स्थापना के 25 साल पूरे होने पर पड़ रहा है। कई अन्य रक्षा सौदों पर भी चर्चा हो सकती है।
विशिष्ट रक्षा सौदों के बारे में पूछे जानेे पर राजदूत ने बस यही कहा कि यह संबंध खरीदने और बेचने से कहीं आगे जा चुका है और अब दोनों देश संयुक्त अनुसंधान ऐर विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ”इस्राइल के भारत के साथ अच्छे संबंध हैं और इस संबंध के रक्षा समेत कई पहलू हैं।”
रक्षा संबंधों से परिचित लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान अरबों डॉलर के दो खरीद सौदों को अंतिम रूप दिया जा सकता है। भारत, इस्राइल से सैन्य उपकरण खरीदने वाला सबसे बड़ा खरीददार है। इस्राइल पिछले कुछ साल में भारत को विभिन्न हथियार प्रणालियों, मिसाइलों और मानवरहित हवाई यानों की आपूर्ति करता रहा है। लेकिन ये लेनदेन मूल तौर पर पर्दे के पीछे किए जाते हैं। फरवरी में, भारत ने इस्राइल के साथ संयुक्त तौर पर सतह से हवा में मार कर सकने वाली मध्यम दूरी की मिसाइल को विकसित करने की 17 हजार करोड़ रूपए की संधि को मंजूरी दी थी। इस संधि पर औपचारिक घोषणा मोदी की पहली इस्राइल यात्रा के दौरान की जा सकती है। कैरमन ने कहा कि दोनों देशों के बीच के संबंधों में पिछले कुछ वर्षों में कई गुना विस्तार हुआ है और दोनों देशों ने इस जुड़ाव को और अधिक गहरा बनाने का संकल्प लिया है।