नई दिल्ली। भारत के प्रधानमंत्री ने दावा किया है की उन्होंने चार सालों में 35 हवाईअड्डे बनाया है। लेकिन ये दावे कहाँ तक सच है ये बात आप एयरपोर्ट ऑथारिटी ऑफ़ इंडिया की वेबसाइट पर जा कर चेक कर सकते है। एक बात और जेहन में सहज ही उठ जाती है की देश के प्रधानमंत्री जो किसी भी चीज का शिलान्यास या उद्घाटन से नहीं चूकते वह केवल 35 में 1 का ही उद्घाटन करने गए बाकी का उद्घाटन किसने किया। प्रधानमंत्री ने सोशल मिडिया पर बताया की बीते चार सालों में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद 35 हवाईअड्डे पूरी तरह बनकर तैयार हुए हैं। अगर आप देखेंगे तो नागरिक विमान उड्डयन के बुनियादी ढ़ांचे के विकास के लिए एयरपोर्ट ऑथारिटी ऑफ़ इंडिया ज़िम्मेदार है। इसकी वेबसाइट पर मौजूद सूची के अनुसार भारत में कुल 101 एयरपोर्ट हैं। भारत में देश के भीतर आने-जाने वाले हवाई यातायात पर विनियामक के तौर पर नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) नज़र रखता है। इसकी रिपोर्ट के अनुसार देश में 13 मार्च 2018 तक 101 घरेलू एयरपोर्ट हैं। अगर हम नज़र डाले तो घरेलू हवाईअड्डों की संख्या के संबंध में डीजीसीए के आंकड़े बताते हैं की साल 2015 में भारत में 95 हवाईअड्डे थे जिनमें से 31 काम नहीं कर रहे थे यानी “नॉन ऑपरेशनल” थे। साल 2018 में देश में कुल 101 हवाईअड्डे हैं जिनमें से 27 “नॉन ऑपरेशनल” हैं। इसका मतलब है कि 2015 के बाद से भारत में केवल 6 नए हवाईअड्डे बन कर तैयार हुए हैं या फिर हम कह सकते हैं कि और काम करने वाले यानी “ऑपरेशनल” हवाईअड्डे की संख्या 10 हो गई। आंकड़ा प्रधानमंत्री मोदी के 2014 के बाद से 35 हवाईअड्डे बनाने के दावे से काफ़ी कम है। इसी महीने दिल्ली में एक विमानन से जुड़े एक सम्मेलन में इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) के प्रमुख ऐलेक्ज़ेडर डी ज्यूनियैक ने हवाईअड्डे बनाने की भारत की कोशिशों की तारीफ की थी। उन्होंने कहा था, “बीते एक दशक में भारत में हवाईअड्डों के बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में जो विकास हुआ है वो आश्चर्यजनक है।” ज्यूनियैक ने जिस एक दशक की बात की है उसमें साल 2014 के बाद का वो वक्त भी आता है जब मोदी के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में आई। यहां पर ये कहना ज़रूरी है कि मौजूदा सरकार के बीते चार साल के कार्यकाल में जो नए हवाईअड्डे खोले गए हैं उनका काम उनसे पहले की सरकार ने शुरु किया होगा, भले ही उन्हें पूरा करने का काम और उनका उद्घाटन मौजूदा प्रशासन में हुआ। इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत को अपनी एयरपोर्ट क्षमता और अधिक बढ़ाने की ज़रूरत है, और विमानन क्षेत्र में बुनियादी ढांचे का और विस्तार करने की मौजूदा बीजेपी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं भी हैं। बीते साल सरकार ने टू-टियर शहरों यानी छोटे शहरों को हवाई रास्तों और बड़े शहरों से जोड़ने के लिए “उड़ान” योजना शुरु की। इस साल की शुरुआत में विमानन मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि भारत को साल 2035 तक 150 से 200 एयरपोर्ट की ज़रूरत होगी। बीते दो दशकों से अधिक के वक़्त में भारत ने अपने विमानन को विदेशी निवेश के लिए खोला है। यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है और देश में हवाई सेवाएं देने वाली कंपनियों के बीच भी प्रतिस्पर्धा है जिसके कारण हाल के सालों में हवाई यात्रा की क़ीमतों में भी गिरावट देखी गई है। अधिक वक़्त लेने और आरामदेह ना होने के बवजूद भी अनेक भारतीय अब भी लंबी दूरी की यात्रा के लिए रेल को ही पसंद करते हैं क्योंकि ये सस्ता है। हाल में आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हवाईअड्डे की संख्या (हर 10 लाख व्यक्ति की हवाईअड्डे पर एयरपोर्ट की संख्या) के मामले में भारत की रैंकिंग कम है। आईएटीए के अनुसार इस क्षेत्र की क्षमता का पूर विकास करने के लिए, “सही समय पर और सही जगह पर, सही प्रकार के बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होगी।”