भाजपा शासन में जल्द ही लोगों के लिए योजनाओं की बहार आने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन से वो पिटारा खोल देंगे जिसका बखान वो साल भर पहले से कर रहे थे। स्वाधीनता दिवस पर भी पीएम मोदी ने जिन 10 करोड़ परिवारों को पांच लाख तक के हेल्थ इंश्योरेंस का तोहफा दिया है, वो उनके जन्मदिन के बाद ही लागू होगा। मजदूरों के लिए मोदी सरकार पहले ही बड़ी योजना लाने की बात बता चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन और विश्वकर्मा-डे यानी 17 सितंबर को खुद मजदूरों के लिए नई वेलफेयर स्कीम से इसकी शुरुआत करेंगे।
मजदूरों के अच्छे दिन!
आम चुनाव से पहले भाजपा मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और शिक्षा का मुद्दा भुनाना चाहती है। ऐसे में 17 सितंबर को प्रधानमंत्री का जन्मदिन भी है और विश्वकर्मा दिवस भी, तो असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए पीएम मोदी की नई योजना के एलान की पूरी संभवना दिख रही है। वेलफेयर स्कीम में मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा के साथ जीवन स्तर सुधारने पर उनका विशेष जोर होगा। मजदूरों और उनके परिवार के शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए इस स्कीम में अलग से जगह होगी।
पीएम मोदी इस योजना के तहत मजदूरों के बच्चों की शिक्षा के लिए सालाना 3 हजार रुपए का खर्च दे सकते हैं। आईटीआई, वोकेशनल या प्रोफेशनल कोर्स के लिए 12 हजार रुपए तक की मदद मिलेगी। मौजूदा सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में आधी प्रीमियम केंद्र सरकार भरेगी।
प्राकृतिक मृत्यु पर 2 लाख और अप्राकृतिक पर 4 लाख रुपए का बीमा कवर भी दिया जाएगा। मजदूर के परिवार के लिए भी 5 लाख तक सालाना इलाज का खर्च लेबर बोर्ड उठाएगा। मजदूर के असामयिक मृत्यु पर पत्नी और आश्रितों के लिए पेंशन की व्यवस्था होगी। और तो और इस योजना में गर्भवती महिला मजदूर को 26 हफ्ते तक न्यूनतम मजदूरी देने का प्रावधान होगा। कंस्ट्रक्शन साइट के पास मजदूर के रहने के लिए उचित व्यवस्था की जाएगी।
वहीं स्वाधीनता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 करोड़ से ज्यादा परिवारों को पांच लाख तक के हेल्थ इंश्योरेंस का तोहफा दिया। आयुष्मान भारत योजना को तकनीकी रूप से अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसके लिए जो टेक्नालॉजी के टूल्स बने हैं, अगले 5-6 सप्ताह में उसकी टेस्टिंग शुरू हो जाएगी। कहा जा रहा है कि पचास करोड़ लोगों के लिए मुफ्त इलाज की सुविधा वाली यह महत्वाकांक्षी योजना 25 सितंबर से शुरू होगी। आने वाले दिनों में मध्यम वर्ग को भी इससे जोड़ा जाएगा।
मिलेगा मोदी केयर का लाभ
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी नीतियों और फैसलों को लेकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा से काफी प्रभावित रहे हैं। स्वास्थ्य से जुड़ी यह योजना भी ओबामा केयर की तर्ज पर देशवासियों को लाभ पहुंचाने का फैसला है। ओबामा ने वर्ष 2010 में करीब ढाई करोड़ अमेरिकी परिवारों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की थी, लेकिन मोदी सरकार ने जिस आयुष्मान योजना का ऐलान किया है उसका फायदा 10 करोड़ परिवारों यानी देश की करीब 40 फीसदी आबादी को मिलने वाला है।
ओबामा की पहल पर अमेरिका की स्वास्थ्य सेवाओं में बड़े बदलाव किए गए थे जिसे अमेरिका के हेल्थकेयर सिस्टम में अब तक का सबसे अहम बदलाव माना गया था। इसका अहम पहलू ये था कि स्वास्थ्य सेवाओं पर किए जाने वाले खर्च में कमी आए, कानूनी अधिकार के तहत स्वास्थ्य बीमा का दायरा बढ़े और कम कीमत पर बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध हो सके। राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मार्च 2013 में पेशेंट प्रोटेक्शन एंड अर्फोडेबल केयर एक्ट यानी पीपीएसीए पर हस्ताक्षर किए थे। ये एक्ट अर्फोडेबल केयर एक्ट के नाम से भी जाना जाता है।
मोदी केयर के तहत सरकार 10 करोड़ परिवारों को कवर करने के लिए बीमा कंपनियों से बोलियां आमंत्रित कर रही है। ये बीमा कंपनियां स्वास्थ्य देखभाल कंपनियों के साथ जुड़ जाएंगी जहां बीमित व्यक्ति का इलाज किया जाएगा। गरीबों को प्रीमियम का भुगतान नहीं करना होगा क्योंकि मोदी केयर अस्पताल में देखभाल के लिए प्रति परिवार 5 लाख रुपए तक का कवर प्रदान करने का वादा करती है। ओबामा केयर अधिनियम के तहत, संयुक्त राज्य सरकार उन लोगों को प्रीमियम में सब्सिडी देती है जिनकी आय संघीय गरीबी रेखा के 100-400 प्रतिशत के बीच होती है। मोदी केयर की 5 लाख रुपए की सीमा की तुलना में, ओबामा केयर में आवश्यक स्वास्थ्य लाभों के लिए ऐसी कोई सीमा नहीं है। ओबामा केयर यह भी सुनिश्चित करता है कि पुरानी बीमारी के मामले में, पॉलिसी धारकों को स्वास्थ्य कवर मिल जाए, भले ही वे कवरेज से बाहर हो चुके हों।
आयुष्मान होगा भारत
10 करोड़ परिवारों को कवर करने के लिए ‘मोदी केयर’ के तहत कुल लागत का अनुमान 4,000 करोड़ रुपए रहा है। इस योजना के लिए केंद्र ने 2,000 करोड़ रुपए आवंटित करने की पुष्टि की थी। केंद्र शेष 2,000 करोड़ रुपए जोड़ने के लिए राज्यों की मदद लेगा। माना जा रहा है कि सरकार इस स्वास्थ्य सेवा को भारत में सभी 24.49 करोड़ परिवारों को 3 साल के भीतर कवर करने की योजना बना रही है। इसमें अतिरिक्त 1070 करोड़ रुपए खर्च होंगे। 2010 में, पूर्व राष्ट्रपति ओबामा ने कहा कि अगले 10 वर्षों में ओबामा केयर की लागत 940 अरब डॉलर होगी। हालांकि, दो साल बाद कांग्रेस के बजट कार्यालय की अनुमानित लागत 1.76 ट्रिलियन डॉलर थी।
मोदी केयर विशेष रूप से भारत के गरीबों के लिए है जबकि ओबामा केयर मध्यम वर्ग के अमेरीकियों लाभ देने के लिए है। ओबामाकेयर ने प्रत्येक नागरिक के लिए बीमा कवर खरीदने को अनिवार्य बना दिया और प्रीमियम पर सरकारी सब्सिडी की पेशकश की। हालांकि, प्रीमियम में हालिया वृद्धि और निरंतर बहस पर आलोचना हो रही है कि क्या इसे रद्द किया जाना चाहिए, जिसमें अधिनियम को रद्द करने के राष्ट्रपति ट्रंप प्रयास कर रहे हैं।
दो योजनाओं को कवर करने वाले लोगों की संख्या के संबंध में, ओबामा केयर की तुलना में मोदी की यह योजना बड़ी आबादी को कवर करेगी। मोदी केयर के लिए 2011 की सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना के अनुसार, बीपीएल और एपीएल परिवारों के आधार पर 10 करोड़ परिवारों की पहचान की गई है। 2016 तक ओबामा केयर ने बीमा सुरक्षा योजना के तहत लगभग 2 करोड़ 40 लाख लोगों को फायदा पहुंचाया।