नई दिल्ली । प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर हमले के प्रति चेताया और धर्मनिरपेक्षता को फिर से परिभाषित किए जाने की जरूरत पर जोर दिया। वहीं उनके एक मंत्री ने अल्पसंख्यकों को आरक्षण दिए जाने की तरफदारी की। राज्यों के अल्पसंख्यक आयोगों के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने भारत की धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के विपरीत कार्य करते हुए धर्मनिरपेक्षता को नए सिरे से परिभाषित करने की जरूरत बताई।
उन्होंने कहा कि बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक दोनों समुदायों को सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए एक साथ कार्य करना चाहिए। सांप्रदायिक सौहार्द में बाधा आने से हमारे देश की छवि खराब होती है।
इसी बीच अल्पसंख्यक मामले के केंद्रीय मंत्री के.रहमान खान ने कहा कि सरकार रंगनाथ मिश्रा आयोग की सिफारिशों के अनुसार अल्पसंख्यकों को आरक्षण दिए जाने पर विचार कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के अधिकांश हिस्सों में बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदाय के बीच संबंध सौहार्दपूर्ण है लेकिन ऐसी भी घटनाएं हुई हैं जिनके कारण दोनों समुदायों के संबंधों में तनाव पैदा हुआ है।
उन्होंने कहा कि इससे हमारे देश और समाज की छवि खराब होती है। इससे प्रभावित लोगों को दर्द और दुख का सामना करना पड़ता है। पिछले वर्ष मुजफ्फरनगर में हुई हिंसा में 6० से अधिक लोगों की मौत हुई थी और हजारों लोग बेघर हुए। बहुलतावाद को भारतीय सभ्यता और संस्कृति का मूल आधार बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि केवल सहिष्णुता नहीं वरन सांप्रदायिक सौहार्द भारतीय धर्मनिरपेक्षता की बुनियाद है। मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार ने कई संस्थाओं की स्थापना की है जिससे अल्पसंख्यकों को न केवल पर्याप्त सुरक्षा हासिल हो वरन उनको विकास में भी बराबर का अवसर मिल सके।
उन्होंने कहा कि 17 राज्यों में अल्पसंख्यक अयोग अस्तित्व में हैं और अन्य राज्यों में भी उनकी स्थापना करने की योजना है। वहीं केंद्रीय मंत्री रहमान खान ने कहा ‘‘मंत्रालय धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के बीच सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान और कल्याणकारी कदमों की सिफारिश करने के लिए न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा आयोग की सिफारिशों पर विचार कर रही है।’’
राष्ट्रीय धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक आयोग ने सिफारिश दी है कि अन्य पिछड़े वर्गों को 27 फीसदी आरक्षण न देकर 15 फीसदी आरक्षण मुस्लिमों और ईसाइयों को और 12 फीसदी अन्य पिछड़े वर्गों को दी जानी चाहिए। देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंगनाथ मिश्रा इस आयोग के अध्यक्ष हैं।खान ने यह भी कहा कि जल्द ही जैन समुदाय को अल्पसंख्यकों की सूची में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा ‘‘सरकार जैन समुदाय को अल्पसंख्यक समुदाय में शामिल करने पर गंभीरता से विचार कर रही है ताकि केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ जैन समुदाय को भी मिल सके।’’ अभी राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 के तहत मुस्लिम सिख ईसाई बौद्ध और पारसी अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में सूचीबद्ध हैं। उल्लेखनीय है कि संप्रग सरकार ने अल्पसंख्यक समुदायों को 4.5 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की थी जिसे आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने यह कहकर गलत ठहराया था कि धर्म आधारित आरक्षण संवैधानिक रूप से अवैध है। इस फैसले के खिलाफ सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की थी।