नई दिल्ली (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने वह याचिका खारिज कर दी जिसमें कोयला ब्लॉक आवंटन पर प्रधानमंत्री से हलफनामा दायर करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। जिस अवधि में हुआ आवंटन विवादित है उस दौरान कोयला मंत्रालय का प्रभार प्रधानमंत्री के पास था। न्यायमूर्ति आर.एम. लोढ़ा की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका दायर करने वाले वकील एम.एल. शर्मा को फटकार लगाते हुए याचिका निरस्त कर दी। अदालत ने कहा ‘‘हम मामले की सुनवाई कर रहे हैं और आप निष्कर्ष पर पहुंच गए।’’ अपनी याचिका पर जोर देते हुए शर्मा अदालत से कहा कि कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए यहां तक कि केंद्रीय मंत्रियों द्वारा जिस तरीके से सिफारिशी पत्र जारी किए गए उससे ‘जिस तरह से कोयला ब्लॉक आवंटन हुआ उसके पूरे परिदृश्य का खुलासा हो जाता है।’शर्मा ने 21 अक्टूबर को सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से 15० कोयला ब्लॉकों के आवंटन को स्पष्ट करने की मांग की क्योंकि प्रधानमंत्री ने ओडिशा में तालाबिरा-2 कोयला ब्लॉक को आदित्य बिड़ला समूह की कंपनी हिंडाल्को को आवंटित किए जाने का समर्थन किया था। मंगलवार को एक अर्जी पेश करते हुए उन्होंने कहा, ‘कोयला ब्लॉक आवंटन होने के बाद से पहली बार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक आवंटन के बारे में कारण बताया है। लेकिन 15० से ज्यादा आवंटन हुए हैं इसलिए उन्हें सभी के बारे में स्पष्ट करना चाहिए।’
एक अन्य आदेश में अदालत ने सीबीआई को कोयला ब्लॉक आवंटन के आपराधिक पहलू की जांच पर अगली स्थिति रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा। अदालत ने जांच एजेंसी से 31 दिसंबर से 1० जनवरी 2०14 तक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा और मामले की अगली सुनवाई की तारीख 15 जनवरी तय कर दी।