नई दिल्ली : देश के शेयर बाजार की चाल तय करने में इस सप्ताह जारी होने वाले प्रमुख आर्थिक आंकड़ों के साथ-साथ घरेलू कंपनियों की दूसरी तिमाही के वित्तीय नतीजों की अहम भूमिका होगी। इसके अलावा, घरेलू व विदेशी घटनाक्रमों और डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल का भी असर देखने को मिलेगा। भारतीय शेयर बाजार में बीते सप्ताह बिकवाली के भारी दबाव में प्रमुख संवेदी सूचकांकों में भारी गिरावट दर्ज की गई, लेकिन इस सप्ताह कई प्रमुख घरेलू कंपनियां 30 सितंबर को समाप्त हुई तिमाही के लिए अपनी वित्तीय नतीजों की घोषणाएं करने वाली हैं जिन पर निवेशकों की विशेष नजर होगी और इससे बाजार को दिशा भी मिलेगी। साथ ही, बाजार की दिशा तय करने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों यानी एफपीआई और घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) के निवेश के प्रति रुझान की अहम भूमिका होगी।
सप्ताह के पहले सत्र में सोमवार को बीते सप्ताह के कुछ प्रमुख फैसले व आंकड़े, मसलन भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट और जीडपी वृद्धि दर में कटौती, अमेरिकी में जारी हुए गैर-कृषि क्षेत्र के रोजगार के आंकड़ों पर भारतीय शेयर बाजार में प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है। अगले दिन मंगलवार को हिंदुओं का प्रमुख त्योहार दशहरा का अवकाश होने के कारण शेयर बाजार बंद रहेगा। इसके अगले दिन बुधवार को अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के ओपन मार्केट कमेटी की हाल ही में हुई बैठक के मिनट्स जारी होंगे। गुरुवार को देश की प्रमुख कंपनी टीसीएस अपनी दूसरी तिमाही के वित्तीय आंकड़े जारी करेगी और इंडसइंड बैंक के भी वित्तीय नतीजे जारी होंगे। अगले दिन शुक्रवार को इन्फोसिस भी चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के अपने आंकड़े जारी करेंगी।
सप्ताह के आखिर में शुक्रवार को अगस्त महीने के लिए देश के औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े जारी होंगे। सबसे खास बात यह है कि अमेरिका और चीन व्यापारिक मसलों को सुलझाने की दिशा में इस सप्ताह फिर बातचीत शुरू करने जा रहे हैं, जिससे संबंधित घटनाक्रम पर निवेशकों की नजर बनी रहेगी। पिछले सप्ताह के आखिर में शुक्रवार को आरबीआई ने फिर प्रमुख ब्याज दर यानी रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती कर इसे 5.15 फीसदी कर दिया। हालांकि इस पर बाजार में कोई उत्साह नहीं दिखा क्योंकि केंद्रीय बैंक द्वारा भारत के जीडीपी वृद्धि दर अनुमान में कटौती किया जाना बाजार को रास नहीं आया। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी वृद्धि दर अनुमान 6.9 फीसदी से घटाकर 6.1 फीसदी कर दिया है।