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प्रमुख योजनाओं पर अमल भारत के लिए बड़ी परीक्षा: चंदा कोचर

102816-412141-chandaदस्तक टाइम्स एजेन्सी/ वाशिंगटन: भारत को ‘मेक इन इंडिया’ जैसे विभिन्न महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों पर ध्यान देने और संस्थागत ढांचे को मजबूत करने की जरूरत है। यह बात आईसीआईसीआई की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी चंदा कोचर ने कही। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन अभियानों का कार्यान्वयन देश के लिए बड़ी परीक्षा साबित होंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘वास्तविक प्रयास हो रहे हैं और सरकार की मंशा भी है कि बदलाव हों। ई-गवर्नेंस पर काफी ध्यान दिया जा रहा है। मुझे लगता है कि हमें नौ या 10 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करने से यही रोक रहा है कि हमें अभी भी अपनी मंशा और कार्यक्रमों को धरातल पर उतारने के लिये काफी कुछ करना बाकी है।’ कोचर ने सरकार द्वारा तय विकास और तेज वृद्धि के मार्ग पर ध्यान केंद्रित रखने पर जोर दिया। कोचर यहां हार्वर्ड विश्वविद्यालय के ‘भारत सम्मेलन 2016’ में मुख्य वक्ता के तौर पर बोल रही थी।

आईसीआईसीआई बैंक की प्रमुख ने कहा, ‘हमें अपनी योजनाओं पर अमल करने की जरूरत है जो हमने बनाई हैं। यह भारत के लिए बड़ी परीक्षा होगी।’ कोचर ने संस्थागत ढांचे को मजबूत करने पर भी जोर दिया।

कोचर ने कहा, ‘‘चाहे दिवाला संहिता हो या फिर संसदीय प्रणाली के काम करने की गति, जीएसटी विधेयक जैसे कानून जिसे अभी पारित होना है इसलिए हमें अपने संस्थागत ढांचे में सुधार लाना है।’ उन्होंने कहा, ‘हमें यह भी समझना है कि जब हम विनिर्माण या बुनियादी ढांचे की बात करते हैं तो इसमें कुछ अड़चनें सामने आतीं हैं। लोगों को जब जमीन की आवश्यकता होती है, प्राकृतिक संसाधन की जरूरत होती है तो मुझे लगता है कि एक निश्चित बिंदु के बाद परियोजनाओं में देरी होने लगती है।

प्रमुख भारतीय बैंकर ने कहा है कि यही वह क्षेत्र है जहां हमें कार्यान्वयन प्रक्रिया के दौरान बेहतर क्षमता लानी है।’’ कोचर ने कहा कि यदि भारत को अपेक्षाकृत अधिक युवा आबादी का लाभ उठाना है तो उसे शिक्षा, कौशल विकास और स्वास्थ्य जैसी दीर्घकालिक चीजों पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

कोचर ने कहा, ‘हम जब अपने युवाओं को शिक्षित करेंगे, कौशल प्रशिक्षण देंगे और रोजगार पाने योग्य बनाएंगे तभी भारत को जनांकिकीय लाभांश का फायदा मिलेगा।’ उन्होंने कहा, ‘‘यह सचमुच हमारे उपर निर्भर करता है कि हम इसका लाभ कैसे उठाते हैं। इसी तरह बुनियादी ढांचे में विसंगतियां हैं। हमने बुनियादी ढांचे में काफी कम निवेश किया है जिससे निवेश और इसके अन्य तत्वों में विशाल संभावनाएं पैदा होती हैं। लेकिन यदि हम ऐसा नहीं करते तो हम अपनी वृद्धि के लिए अड़चन पैदा कर रहे होंगे।’

 

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