प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट बना पक्षी प्रेमियों के लिए कौतूहल का विषय
मथुरा : मशीनों की तेज आवाज के बावजूद मथुरा रिफाइनरी का ईकोलाॅजिकल पार्क इन दिनों प्रवासी पक्षियों के कलरव से गुंजायमान है। भरतपुर के घने पक्षी विहार में शोर करने की इजाजत नही होती लेकिन मथुरा रिफाइनरी में तो हर समय मशीनों की आवाज से वातावरण शोरगुलपूर्ण बना रहता है इसके बावजूद देशी पक्षियों के साथ साथ विदेशी पक्षियों का यहां आना पक्षी प्रेमियों के लिए भी कौतूहल का विषय बन गया है। मथुरा रिफाइनरी के अधिशासी निदेशक एल डब्ल्यू खोंगवीर ने गुरूवार को यूनीवार्ता को बताया कि मथुरा रिफाइनरी का ईकोलाॅजिकल पार्क इसलिए और मनोहारी बन गया है कि रिफाइनरी ने अपने शैशवकाल से ही वातावरण को सघन हरीतिमा युक्त और पर्यावरण हितैषी बनाने का प्रयास किया जिससे आगरा में बने ताजमहल पर रिफाइनरी के होने का कोई असर न पड़े। एक ओर रिफाइनरी और उसके आसपास की लम्बी दूरी की परिधि में सघन वृक्षारोपण किया गया, दूसरी ओर रिफाइनरी में समय समय पर वर्तमान मशीनों में मामूली परिवर्तन कर या नई मशीने लगाकर ऐसे प्रयास किये गए जिससे रिफाइनरी का पर्यावरण प्रद्यूषण मुक्त रहे । श्री खोंगवीर ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश के चार सालों के भीतर हाइड्रो क्रैकर यूनिट की स्थापना कर सल्फर डाई आक्साइड के उत्सर्जन को न केवल कम किया गया बल्कि स्वच्छ हरित ईंधन का उत्पादन किया गया। इसका असर यह हुआ कि शुरूआत से ही रिफाइनरी ने कम लेड वाले पेट्रोल के उत्पादन में अग्रणी भूमिका निभाई। डीजल हाइड्रो ट्रीटिंग यूनिट और एमएस (पेट्रोल) क्वालिटी अपग्रेडेशन यूनिट की 2005 में स्थापना से से यूरो-3 ग्रेड डीजल एवं पेट्रोल के उत्पादन के लिए रिफाइनरी को तैयार कर लिया गया था। इस सबका असर यह हुआ कि जहां देश भर में एक अप्रैल 2017 से यूरो-4 ग्रेड परिवहन ईंधन की आपूर्ति शुरू हुई वहीं मथुरा रिफाइनरी ने जनवरी 2010 से ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में यूरो-4 ग्रेड पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति शुरू कर पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए निर्धारित एक अप्रैल 2010 की समय सीमा को समय से पहले पूरा कर लिया था।
निदेशक ने दावा किया कि वास्तव में यह रिफाइनरी एनसीटी दिल्ली के ईंधन स्टेशनों के लिए बीएस-6 ग्रेड पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति करने वाली पहली रिफाइनरी बनी और एक अप्रैल 2018 के अग्रिम लक्ष्य को आसानी से पूरा कर लिया जबकि शेष देश को अप्रैल 2020 से बीएस-6 ईंधन उपलब्ध कराया जाएगा। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी वाइल्ड लाइफ साइंस के अध्यक्ष अफीफुल्ला खाॅ ने बताया कि पक्षियों को मूल रूप से भोजन, सुरक्षा, पानी और अच्छे पर्यावरण की जरूरत होती है । जिस प्रकार से मथुरा रिफाइनरी के ईकोलाजिकल पार्क में विदेशी पक्षी तक आते हैं उससे इस बात की पुष्टि होती है कि यह सभी चीेजें पक्षियों को वहां पर मिल रही हैं। मशहूर पक्षी प्रेमी प्रोफेसर राजकमल जैन का कहना है कि मथुरा रिफाइनरी में पक्षियों का इस प्रकार हर साल आना यह बताता है कि रिफाइनरी और आसपास का वातावरण स्वच्छ है क्योंकि संभवतः ईश्वर ने पक्षियों को यह गुण दिया हैै कि वह स्वच्छ और प्रदूषणयुक्त वातावरण में अंतर निकाल लें। उनका तो यह भी कहना था कि जिस प्रकार से पर्यावरण पार्क का वातावरण मनोरम है उससे इस बात की भी संभावना है कि यहां पर कुछ ऐसे भी पक्षी आते हों जो यहां पर थकान मिटाकर फिर घना पक्षी विहार भरतपुर जाते हों।