दस्तक टाइम्स/एजेंसी-छत्तीसगढ़ : रायपुर. छत्तीसगढ़ पीएमटी-2011 पर्चा लीक कांड के सूत्रधार की तलाश में चार साल से भटक रही पुलिस को पहली बार उस व्यक्ति का सुराग मिल गया है, जिसने आगरा के माहिम पैट्रन प्रिंटिंग प्रेस से पर्चे निकालकर गिरोहबाज दीनाराम और बेदीराम के हवाले किए थे। यह संकेत भी मिल गए हैं कि इस व्यक्ति को दीनाराम ने ही प्लानिंग के साथ प्रिंटिंग प्रेस में काम दिलवाया था, ताकि भरोसा जीतने के बाद वह गिरोह की पूरी मदद कर सके। उस व्यक्ति ने धीरे-धीरे कंपनी की गोपनीय शाखा संभाल ली, और फिर पर्चे लीक करने शुरू किए। पुलिस को यह भी संकेत मिले हैं कि उसने प्रेस के एक-दो अफसरों को भी अपने साथ मिला लिया था। 2011 में यूपी से पर्चे छत्तीसगढ़ लेकर आए मनीष सिंह से पूछताछ में पुलिस को कुछ क्लू मिले थे। इसकी पड़ताल के बाद पुलिस पर्चा लीक करनेवाले व्यक्ति तक पहुंच गई। मनीष पर्चों के जो सेट छत्तीसगढ़ में लेकर आया था, वही सेट यहां उम्मीदवारों को बांटे जाने वाले थे।
पुलिस भले ही पीएमटी के मास्टर माइंड और पर्चा लाकर यहां बेचने वाले पूरे गिरोह को भंडाफोड़ कर चुकी है। गिरोह के सरगना और एक-दो सदस्यों को छोड़कर बाकी सभी पकड़े भी जा चुके हैं, लेकिन अभी तक यह राज नहीं खुला था कि बेदीराम और दीनाराम को पीएमटी का पर्चा किसने दिया था? पिछले हफ्ते पुलिस ने यूपी से मनीष सिंह को पकड़ा। वह मास्टरमाइंड बेदी व दीनाराम का राइट हैंड माना जाता है। मनीष के पकड़े जाने के बाद पुलिस को यह सुराग मिला कि प्रिंटिंग प्रेस से पर्चा चुराकर दीना व बेदी को देने वाला कौन है? पूरे मामले की जांच में जुटी एसआईटी को उस पर्चे देने वाले के बारे में भी जानकारी मिल गई है। अफसरों ने संकेत दिए हैं कि कुछ बिंदुओं का ताजा जानकारी के साथ मिलान किया जा रहा है। उसमें परिस्थितियों से मिलान करने के बाद बड़ी कार्रवाई की जाएगी।
बेदी-दीना बड़े आसामी मनीष से पूछताछ से ही यह पता चला है कि बेदी और दीनाराम करोड़ों के आसामी हैं। यूपी में दोनों बेहद रसूखदार हैं। उनके कई मॉल और प्राइम लोकेशन में दुकानें हैं। बेदीराम का राजनीति में भी खासा दखल है। वह विधानसभा चुनाव में 10-12 उम्मीदवारों को अपने खर्चे पर चुनाव लड़वाता है। राजनीतिक रसूख होने के कारण स्थानीय पुलिस उस पर सीधे हाथ नहीं डालती।आरोपी शैलेंद्र की तलाश पीएमटी कांड में पांच साल की सजा पड़ने के बाद जमानत पर छूटे शैलेंद्र सिंह की फिर तलाश की जा रही है। इसके बारे में पुलिस को नए इनपुट मिले हैं। यह पता चला है कि पर्चालीक करने वाले को वह अच्छी तरह से जानता है। संकेत हैं कि उसी ने गिरोह में शामिल प्रिंटिंग प्रेस वाले से पर्चा लिया था। उससे दोबारा पूछताछ करने के लिए कोर्ट से अनुमति ली जाएगी।
पर्चा कांड का मास्टर माइंड और सरगना बेदीराम फिर अंडरग्राउंड पीएमटी पर्चाकांड का मास्टर माइंड और गिरोह का सरगना बेदीराम जमानत पर छूटने के बाद से वांटेड है। पकड़े जाने के बाद वह कुछ समय जेल में बंद रहा। उसके बाद उसे जमानत मिल गई। जमानत मिलने के बाद से वह फरार हो गया। केस की सुनवाई के दौरान एक बार भी वह हाजिर नहीं हुआ। उसकी तलाश की जा रही है।
लैपटॉप का राज भी बाकी इस पूरे मामले में अभी तक व्यवसायिक परीक्षा मंडल व्यापमं के नियंत्रक के लैपटॉप का राज नहीं खुला है। पुलिस ने पर्चाकांड के बाद नियंत्रक का लैपटॉप जब्त कर फोरेंसिक जांच के लिए हैदराबाद की लैब भेजा था। 2012 में उसकी रिपोर्ट आ चुकी है, लेकिन अब तक उसे खोला गया है।
कैसे मिला सीटिंग अरेंजमेंट? एक और अनसुलझा सवाल ये है कि पीएमटी पर्चे बेचनेवालों को ये कैसे पता चला कि पर्चे का कौन सा सेट किस छात्र को मिलेगा? तखतपुर में पकड़े गए छात्र वही परचे हल कर रहे थे, जो उन्हें एग्जाम हॉल में मिलनेवाले थे? यह तभी संभव है जब गिरोहबाजों को सीटिंग अरेंजमेंट भी पता हो।
छग का चर्चित पीएमटी पर्चा कांड छत्तीसगढ़ में 2011 में आयोजित सीजी पीएमटी का पर्चा परीक्षा के एक दिन पहले ही यूपी में रहने वाले गिरोहबाज दीनाराम व बेदीराम को मिल गया था। उन्होंने पर्चालीक करने की तगड़ी प्लानिंग की थी। उन्होंने पीएमटी के 15 दिन पहले से अपने गिरोह के लोगों को छत्तीसगढ़ भेजकर ऐसे उम्मीदवारों की तलाश की जो पर्चा खरीदने को तैयार हो गए। ऐसे 72 लोगों को पीएमटी के एक दिन पहले तखतपुर बिलासपुर में इकट्ठा कर वहां उन्हें पर्चे हर करने दिए गए। उनकी योजना पूरी रात पर्चा हल करवाने की थी ताकि अगले दिन उम्मीदवार अच्छी तरह से पर्चा दे सकें। भास्कर के इनपुट पर पुलिस ने रात को दबिश दी और पूरे रैकेट का भंडाफोड़ किया था।
दस्तक टाइम्स/एजेंसी-छत्तीसगढ़ : रायपुर. छत्तीसगढ़ पीएमटी-2011 पर्चा लीक कांड के सूत्रधार की तलाश में चार साल से भटक रही पुलिस को पहली बार उस व्यक्ति का सुराग मिल गया है, जिसने आगरा के माहिम पैट्रन प्रिंटिंग प्रेस से पर्चे निकालकर गिरोहबाज दीनाराम और बेदीराम के हवाले किए थे। यह संकेत भी मिल गए हैं कि इस व्यक्ति को दीनाराम ने ही प्लानिंग के साथ प्रिंटिंग प्रेस में काम दिलवाया था, ताकि भरोसा जीतने के बाद वह गिरोह की पूरी मदद कर सके। उस व्यक्ति ने धीरे-धीरे कंपनी की गोपनीय शाखा संभाल ली, और फिर पर्चे लीक करने शुरू किए। पुलिस को यह भी संकेत मिले हैं कि उसने प्रेस के एक-दो अफसरों को भी अपने साथ मिला लिया था। 2011 में यूपी से पर्चे छत्तीसगढ़ लेकर आए मनीष सिंह से पूछताछ में पुलिस को कुछ क्लू मिले थे। इसकी पड़ताल के बाद पुलिस पर्चा लीक करनेवाले व्यक्ति तक पहुंच गई। मनीष पर्चों के जो सेट छत्तीसगढ़ में लेकर आया था, वही सेट यहां उम्मीदवारों को बांटे जाने वाले थे।
पुलिस भले ही पीएमटी के मास्टर माइंड और पर्चा लाकर यहां बेचने वाले पूरे गिरोह को भंडाफोड़ कर चुकी है। गिरोह के सरगना और एक-दो सदस्यों को छोड़कर बाकी सभी पकड़े भी जा चुके हैं, लेकिन अभी तक यह राज नहीं खुला था कि बेदीराम और दीनाराम को पीएमटी का पर्चा किसने दिया था? पिछले हफ्ते पुलिस ने यूपी से मनीष सिंह को पकड़ा। वह मास्टरमाइंड बेदी व दीनाराम का राइट हैंड माना जाता है। मनीष के पकड़े जाने के बाद पुलिस को यह सुराग मिला कि प्रिंटिंग प्रेस से पर्चा चुराकर दीना व बेदी को देने वाला कौन है? पूरे मामले की जांच में जुटी एसआईटी को उस पर्चे देने वाले के बारे में भी जानकारी मिल गई है। अफसरों ने संकेत दिए हैं कि कुछ बिंदुओं का ताजा जानकारी के साथ मिलान किया जा रहा है। उसमें परिस्थितियों से मिलान करने के बाद बड़ी कार्रवाई की जाएगी।
बेदी-दीना बड़े आसामी
मनीष से पूछताछ से ही यह पता चला है कि बेदी और दीनाराम करोड़ों के आसामी हैं। यूपी में दोनों बेहद रसूखदार हैं। उनके कई मॉल और प्राइम लोकेशन में दुकानें हैं। बेदीराम का राजनीति में भी खासा दखल है। वह विधानसभा चुनाव में 10-12 उम्मीदवारों को अपने खर्चे पर चुनाव लड़वाता है। राजनीतिक रसूख होने के कारण स्थानीय पुलिस उस पर सीधे हाथ नहीं डालती।आरोपी शैलेंद्र की तलाश
पीएमटी कांड में पांच साल की सजा पड़ने के बाद जमानत पर छूटे शैलेंद्र सिंह की फिर तलाश की जा रही है। इसके बारे में पुलिस को नए इनपुट मिले हैं। यह पता चला है कि पर्चालीक करने वाले को वह अच्छी तरह से जानता है। संकेत हैं कि उसी ने गिरोह में शामिल प्रिंटिंग प्रेस वाले से पर्चा लिया था। उससे दोबारा पूछताछ करने के लिए कोर्ट से अनुमति
ली जाएगी।
पर्चा कांड का मास्टर माइंड और सरगना बेदीराम फिर अंडरग्राउंड
पीएमटी पर्चाकांड का मास्टर माइंड और गिरोह का सरगना बेदीराम जमानत पर छूटने के बाद से वांटेड है। पकड़े जाने के बाद वह कुछ समय जेल में बंद रहा। उसके बाद उसे जमानत मिल गई। जमानत मिलने के बाद से वह फरार हो गया। केस की सुनवाई के दौरान एक बार भी वह हाजिर नहीं हुआ। उसकी तलाश की जा रही है।
लैपटॉप का राज भी बाकी
इस पूरे मामले में अभी तक व्यवसायिक परीक्षा मंडल व्यापमं के नियंत्रक के लैपटॉप का राज नहीं खुला है। पुलिस ने पर्चाकांड के बाद नियंत्रक का लैपटॉप जब्त कर फोरेंसिक जांच के लिए हैदराबाद की लैब भेजा था। 2012 में उसकी रिपोर्ट आ चुकी है, लेकिन अब तक उसे खोला गया है।
कैसे मिला सीटिंग अरेंजमेंट?
एक और अनसुलझा सवाल ये है कि पीएमटी पर्चे बेचनेवालों को ये कैसे पता चला कि पर्चे का कौन सा सेट किस छात्र को मिलेगा? तखतपुर में पकड़े गए छात्र वही परचे हल कर रहे थे, जो उन्हें एग्जाम हॉल में मिलनेवाले थे? यह तभी संभव है जब गिरोहबाजों को सीटिंग अरेंजमेंट भी पता हो।
छग का चर्चित पीएमटी पर्चा कांड
छत्तीसगढ़ में 2011 में आयोजित सीजी पीएमटी का पर्चा परीक्षा के एक दिन पहले ही यूपी में रहने वाले गिरोहबाज दीनाराम व बेदीराम को मिल गया था। उन्होंने पर्चालीक करने की तगड़ी प्लानिंग की थी। उन्होंने पीएमटी के 15 दिन पहले से अपने गिरोह के लोगों को छत्तीसगढ़ भेजकर ऐसे उम्मीदवारों की तलाश की जो पर्चा खरीदने को तैयार हो गए। ऐसे 72 लोगों को पीएमटी के एक दिन पहले तखतपुर बिलासपुर में इकट्ठा कर वहां उन्हें पर्चे हर करने दिए गए। उनकी योजना पूरी रात पर्चा हल करवाने की थी ताकि अगले दिन उम्मीदवार अच्छी तरह से पर्चा दे सकें। भास्कर के इनपुट पर पुलिस ने रात को दबिश दी और पूरे रैकेट का भंडाफोड़ किया था।