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प्रियंका गांधी ने PM मोदी पर कसा तंज, बोलीं- ‘डेल्टा+ वैरिएंट देश में दे चुका दस्तक दे चुका, लेकिन…’

लखनऊ, जून 24: कोरोना वायरल के डेल्टा प्लस वैरिएंट सरकार की टेंशन और बढ़ा दी है। हालांकि, अभी तक इस स्ट्रेन के ज्यादा मामले देश में नहीं आए हैं, लेकिन इसके बारे में जितना भी पता चला है, उसके बाद सरकार संबंधित राज्यों को अभी से सावधान हो जाने की सलाह दे रही है। इस बीच कांग्रेस महासचिव व उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने डेल्टा प्लस वैरिएंट को लेकर सरकार को आगाह किया है।

प्रियंका गांधी ने 23 जून को सोशल मीडिया साइट फेसबुक पर लिखा, ‘डेल्टा+ वैरिएंट देश में दस्तक दे चुका है। अभी मात्र 3.6% जनसंख्या का पूर्ण वैक्सीनेशन हुआ है। लेकिन पीएम महोदय ईएम (इवेंट मैनेजर) की भूमिका में ही बने हुए हैं। पीएम द्वारा खुद की पीठ थपथपाने के अगले ही दिन वैक्सीनेशन में 40% की गिरावट आ गई।’

वैक्सीन रिकॉर्ड के प्रोपोगैंडा का फार्मूला

प्रियंका गांधी ने योग दिवस पर हुए रिकॉर्ड वैक्सीनेशन को प्रोपेगेंडा का फार्मूला बताते हुए कुछ आंकड़े दिए। प्रियंका गांधी ने कहा कि मध्य प्रदेश में..

20 जून: 692 वैक्सीन लगीं

21 जून: 16,91,967

22 जून: 4825

इतना ही नहीं, प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया कि पहले वैक्सीन जमा की गई, इवेंट के लिए एक दिन में लगा दी, फिर अगले दिन कम। दिसंबर तक सबको वैक्सीन देने के लिए देश में प्रतिदिन 80-90 लाख वैक्सीन लगानी होंगी।’

डेल्टा प्लस, वैरिएंट ऑफ कंसर्न क्यों है?

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, द इंडियन एसएआरएस-सीओवी-2 जिनोमिक कंसोर्टिया (आईएलएसएसीओजी) ने उसे जानकारी दी है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट इस समय ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न’ है। क्योंकि, इसमें ज्यादा तेजी से फैलने की क्षमता (इंक्रीज्ड ट्रांसमिशिबिलिटी), फेफड़ों की कोशिकाओं के रिसेप्टर्स के लिए मजबूत बंधन (स्ट्रॉन्गर बाइंडिंग टू रिसेप्टर्स ऑफ लंग सेल्स), और मोनोक्लोनल एंटीबॉडी प्रतिक्रिया में कमी (कोरोना की दवा के असर को कम करने) जैसी विशेषताएं हैं।

डेल्टा प्लस वैरिएंट से कैसे बचें?

आईएलएसएसीओजी का कहना है कि डेल्टा प्लस के गुणों की जांच अभी भी जारी है। कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन की वजह से इसने विशेषता हासिल कर ली है, जो वायरस को इंसानी कोशिकाओं में घुसने में मदद करता है। इसने कहा है कि हालांकि, देश में इसकी संख्या अभी कम है, लेकिन यह कई राज्यों में मौजूद है और इसके लिए सर्विलांस, टेस्टिंग, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और वैक्सीनेशन को प्राथमिकता देना जरूरी है।

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