प्रियंका ने कहा- भाजपा सरकार ने युवाओं से काम छीनकर किया उनके साथ अन्याय
देश में आर्थिक मंदी का असर दिखाई देना शुरू हो गया है। तिमाही दर तिमाही अर्थव्यवस्था में सुस्ती आ रही है। कई क्षेत्रों से लोगों को निकाला जा रहा है। 2014 से अब तक केवल निर्माण क्षेत्र में 35 लाख लोगों की नौकरियां जा चुकी है। मंदी को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने युवाओं से काम के मौके छीनकर अन्याय किया है। प्रियंका ने पहले ट्वीट में कहा, ‘देश में नौकरियां पैदा न होना विकास के पहिए के रुकने की निशानी है। भाजपा शासन में यह बीमारी महामारी का रूप ले चुकी है। निर्माण क्षेत्र में लगभग 35 लाख नौकरियां खत्म हो चुकी हैं। आईटी की बड़ी-बड़ी कंपनियां लगभग 40 लाख नौकरियां खत्म करने वाली हैं।’ इसके साथ उन्होंने हैशटैग मंदी की मार का इस्तेमाल किया है।
अर्थव्यवस्था में सुस्ती से नौकरियों पर गहराया संकट, केवल एक सेक्टर में 35 लाख हुए बेरोजगार अर्थव्यवस्था में सुस्ती से नौकरियों की संभावनाएं भी धूमिल होती जा रही हैं. लाखों लोगों की नौकरियों पर संकट है. लागत बचाने के लिए कंपनियां सीनियर और मध्यम स्तर के कर्मचारियों को निकाल रही हैं तथा…
दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘भारत की सबसे बड़ी ताकत यहां के युवा हैं। भाजपा सरकार ने उनसे काम के मौके छीनकर बहुत बड़ा अन्याय किया है।’ बता दें कि आईटी क्षेत्र के मध्यम से वरिष्ठ स्तर के 40 लाख कर्मचारियों की नौकरी पर संकट छाया हुआ है। कपनियां प्रेशर्स को नौकरी दे रही है क्योंकि उन्हें कम वेतन देना पड़ता है।
छह साल में सबसे कम लोगों को मिली नौकरी
अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सस्टेनेबल इंप्लायमेंट के द्वारा जारी एक शोध पत्र में दावा किया गया है कि पिछले छह सालों में लोगों को रोजगार मिलने की संख्या में काफी गिरावट आई है। 2011-12 से लेकर के 2017-18 के बीच 90 लाख लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी। भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है। देश के तीन राज्यों में स्थिति सबसे ज्यादा खतरनाक हो गई है।
सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक त्रिपुरा, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में लोगों को नौकरियां ढूंढने पर भी नहीं मिल रही हैं। त्रिपुरा में बेरोजगारी दर 23.3 फीसदी रिकॉर्ड की गई है। सीएमआईई के एमडी और सीईओ महेश व्यास के मुताबिक देश के ग्रामीण और शहरी इलाकों में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। इसमें भी शहरी इलाकों में लोगों को नौकरियां नहीं मिल रही हैं।
ऑटो सहित कई सेक्टर में हालत बिगड़ने से भी यह असर देखने को मिल रहा है। टेक्सटाइल, चाय, एफएमसीजी, रियल एस्टेट जैसे सेक्टर में भीषण मंदी आई है। सीएमआईई ने जो डाटा जारी किया था उसके मुताबिक 2016 से 2018 के बीच 1.1 करोड़ लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा था। फरवरी 2019 में बेरोजगारी का आंकड़ा 7.2 फीसदी पर पहुंच गया। वहीं पिछले साल फरवरी में यह आंकड़ा 5.9 फीसदी था।