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प्रेमी डाॅ. ने नेपाल में प्रेमिका का अपहरण कर मार डाला, पुलिस के हत्थे चढ़े

गोरखपुर : गोरखपुर के डॉ. डीपी सिंह और उसके दो कर्मचारियों को नेपाल में प्रेमिका की हत्या करने के जुर्म में एसटीएफ ने गिरफ्तार किया। आरोप है कि डॉक्टर ने छह माह पहले पति के साथ घर लौट रही प्रेमिका का भैरहवा में अपहरण कर लिया और पोखरा में नशे की गोली खिलाकर पहाड़ी से नीचे फेंक दिया था। घटना को अंजाम देने के बाद सहयोगियों कर्मचारियों के साथ गोरखपुर चला आया था। जांच में नाम सामने आने पर उसकी गिरफ्तारी हुई। एसटीएफ के आइजी अमिताभ यश ने शुक्रवार को गोरखपुर में मीडिया को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पांच जून को नेपाल के पोखरा में पहाड़ी के नीचे भारतीय महिला का शव मिला था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में महिला की हत्‍या किए जाने का प्रमाण मिला। नेपाल पुलिस से जानकारी मिलने पर एसटीएफ ने जांच शुरू की तो पता चला कि शव बिछिया कॉलोनी में रहने वाली राजेश्वरी श्रीवास्तव उर्फ राखी का है। राखी चार जून से लापता थी। राखी के भाई अमर प्रकाश ने शाहपुर थाने में उसके पति मनीष श्रीवास्तव के खिलाफ अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया था। जांच में पता चला कि पति के साथ राखी काठमांडू घूमने गई थी। लौटते समय भैरहवा में उसकी मुलाकात आर्यन हास्पिटल के संचालक डॉ. डीपी सिंह से हुई। हास्पिटल के दो कर्मचारियों की मदद से राखी का अपहरण कर डॉ. डीपी सिंह पोखरा चला गया। यहां नशे की गोली खिलाने के बाद उसे पहाड़ी पर ले गया और नीचे फेंक दिया। घटना को अंजाम देने के बाद डॉ. और उसके सहयोगी गोरखपुर लौट आए। नेपाल पुलिस से मिली जानकारी के आधार पर एसटीएफ ने शुक्रवार सुबह डॉ. डीपी सिंह और उसके कर्मचारी प्रमोद सिंह और देश दीपक मिश्र को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में इन लोगों ने वारदात को अंजाम देने की बात कबूल की। आर्यन हॉस्पिटल के संचालक डॉ. डीपी सिंह ने 2011 में दाउदपुर की रहने वाली राजेश्वरी उर्फ राखी से गोंडा के एक मंदिर में प्रेम विवाह किया था। शादी के बाद शहर में किराए पर कमरा लेकर वह राखी के साथ रहता था। कुछ दिन बाद मनमुटाव होने पर राखी डॉ. डीपी सिंह से अलग हो गई। जिसके बाद उसने डॉक्टर पर दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज करा दिया। राखी घरवालों से अलग शाहपुर के बिछिया कॉलोनी में अकेले रहती थी। बताया जा रहा है यह मकान डॉ. डीपी सिंह ने ही उसे दिया था। मुकदमे में सुलह करने को लेकर दोनों के बीच कई बार विवाद हुआ।

राखी मकान अपने नाम रजिस्ट्री करने के लिए डॉक्टर पर दबाव बना रही थी। दोनों के बीच फोन पर बातचीत होती थी। दो साल पहले राखी ने मनीष श्रीवास्तव नाम के व्यक्ति से शादी कर ली। एक जून को वह पति के साथ काठमांडू गई थी। जिसकी जानकारी उसने डॉक्टर को दी थी जिसके बाद मिलने के बहाने साथियों संग वह भैरहवा पहुंच गया। काठमांडू से लौटते समय पति को बताए बिना ही राखी मिलने पहुंची तो डॉक्टर ने अपहरण कर लिया। राखी के लापता होने पर मनीष ने दो दिन तक भैरहवा में उसकी खोजबीन की लेकिन कुछ पता नहीं चला। घर पहुंचने के बाद राखी के गायब होने की जानकारी उसके बड़े भाई अमर प्रकाश को दी। मनीष पर ही बहन का अपहरण करने का संदेह जताते हुए चार जुलाई को उसने शाहपुर थाने में अपहरण का मुकदमा दर्ज करा दिया। शाहपुर पुलिस मामले की छानबीन कर रही थी। राखी की हत्या के बाद डॉ. डीपी सिंह ने उसका मोबाइल अपने पास ले लिया। पुलिस को गुमराह करने के लिए मोबाइल गुवाहाटी में भेज दिया। चार अक्टूबर तक उसका मोबाइल एक्टिवेट रहा। छानबीन में जुटी पुलिस और एसटीएफ यह मान रही थी राखी गुवाहाटी में है। मोबाइल बंद होने पर जांच तेज हुई तो सच्चाई सामने आ गई।

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