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 प्लेन क्रैश में नहीं हुई सुभाष चन्‍द्र बोस की मौत

दस्तक टाइम्स/एजेंसी

boseनई दिल्‍ली । नेताजी की मौत के राज खोलने वाली 64 फाइलें पश्चिम बंगाल सरकार ने सार्वजनिक कर दीं। इन फाइलों से इस बात के कोई सबूत नहीं मिलते कि नेताजी की मौत ताइवान में एक प्लेन क्रैश में हुई थी। भारत सरकार की ओर से नेताजी के भतीजे अमीय बोस को लिखी चिट्ठी में कहा गया है कि उन्हें ताइवान में प्लेन क्रैश की कोई जानकारी नहीं है। इन फाइलों से पता चलता है कि एक रेडियो प्रसारण ने आजादी के दो साल बाद नेताजी सुभाष चन्‍द्र बोस के जीवित होने की उम्‍मीदें फिर बांध दी थीं। नेताजी के भतीजे अमिय नाथ बोस ने अपने भाई शिशिर कुमार बोस को लिखे पत्र में इस प्रसारण का जिक्र भी किया था। पत्र में लिखा गया था कि पिछले एक महीने से हमें शार्ट वेव पर 16 एमएम के पास यह प्रसारण सुनाई पड़ता है। इस प्रसारण में केवल यही आवाज आती है, नेता सुभाष चन्‍द्र बोस ट्रांसमिटर पर बोलना चाहते हैं। घंटों तक यही वाक्‍य दोहराया जाता रहता है। 18 नवंबर 1949 को लिखे गए इस पत्र को कोलकाता पुलिस की स्‍पेशल ब्रांच ने रोक लिया था। शिशिर उस समय लंदन में मेडिसिन की पढ़ाई कर रहे थे। बड़े भाई अमिय कोलकाता में रहते थे। वहीं रेडियो पर नेताजी सुभाष चन्‍द्र बोस क्‍या संदेश देना चाहते थे इसका खुलासा अभी तक नहीं हो पाया है। वहीं इन फाइलों के अनुसार ब्रिटिश खुफिया एजेन्सियां भी यह मानती थीं की नेताजी आजादी के बाद तक जिंदा थे। साल 1997 में उजागर, 8 अप्रैल 1946 की एक खुफिया फाइल के मुताबिक महात्मा गांधी को भी नेताजी की मौत का विश्वास नहीं था। अगस्त 1945 में नेताजी की कथित मौत के आठ माह बाद गांधी ने बंगाल में एक प्रार्थना सभा में कहा कि मुझे भरोसा है कि नेताजी जिंदा हैं। चार माह बाद उन्होंने एक लेख लिखा कि ऐसी निराधार भावना पर भरोसा नहीं किया जा सकता। गांधी ने अंतरात्मा की आवाज पर यह कहा, जिसे कांग्रेसियों गुप्त सूचनाओं पर आधारित माना। इस फाइल में नेहरू को नेताजी का रूस से भेजा एक पत्र मिलने की बात भी दर्ज की गई थी।

गुमनामी बाबा का रहस्य बरकरार

गौरतलब है कि यूपी के फैज़ाबाद के गुमनामी बाबा उर्फ़ भगवन जी का रहस्य अभी भी बरकरार है। यह फैज़ाबाद के सिविल लाइंस स्थित एक घर राम भवन में करीब तीन वर्ष रहे और यही पर 16 सितंबर 1985 में इनकी रहस्यमय मौत हो गई। गुमनामी बाबा की मौत के बाद इनके कमरे को खोला गया तब उनके कमरे से कई ऐसी रहस्यमय वस्तुए मिलीं जो नेता जी सुभाष चन्द्र बोस से सम्बंधित रहीं। इसके बाद से एक नई बहस शुरू हुई की कहीं गुमनामी बाबा नेता जी सुभाष चन्द्र बोस तो नहीं। हालांकि इनके मिलने वाले इनको नेता जी सुभाष चन्द्र बोस मानते हैं। वहीं जहाँ गुमनामी बाबा का अंतिम संस्कार किया गया सरयू नदी के किनारे गुप्तारघाट वहां एक समाधी स्थल बनाई गई है जिसपर लिखा है गुमनामी बाबा उर्फ़ भगवन जी। जन्म तिथि 23 जनवरी 1897 अंकित है, जो जन्म तिथि नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की है लेकिन मृत्यु तिथि पर तीन प्रश्न चिन्ह अंकित है। जो अपने में गुमनामी बाबा या नेता जी सुभास चन्द्र बोस को लेकर प्रश्न खड़ा करता है।

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