मुंबई। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे मराठा आरक्षण के सवाल पर फंस गए हैं। अब उनसे ना तो ये कहते बन रहा है कि वो मराठा आरक्षण के समर्थन में हैं और न ये ही कि वो विरोध में हैं। सो अब राज्य विधानसभा का विशेष अधिवेशन बुलाने की मांग कर रहे हैं। उद्धव ठाकरे की मुशिकल ये भी है कि वो दलित अत्याचार कानून में बदलाव पर भी खुलकर नहीं बोल पा रहे हैं। ऊपर से उनके अखबार सामना में छपे कार्टून पर उनको माफी मांगनी पड़ी। ये पहला मौका है जब शिवसेना प्रमुख ने माफी मांगी है। बाल ठाकरे ने कभी माफी नहीं मांगी थी।
अब राज ठाकरे ने उद्धव को चुनौती दे दी है कि वो बताएं कि मराठा आरक्षण पर वह समर्थन करते हैं या नहीं। मराठा समुदाय पांच फीसदी आरक्षण और दलित अत्याचार विरोधी कानून में बदलाव की मांग पर राज्यभर में मोर्चा निकाल रहा है। जनवरी फरवरी में महाराष्ट्र में मुंबई समेत दस महानगरपालिका के चुनाव होने हैं। ये मिनी विधानसभा चुनाव की तरह है। इस पर मराठा आरक्षण की राजनीति का असर होना तय है।
अब शिवसेना के नेता भ्रम में हैं कि क्या करें। उद्धव भी परेशान हैं। मराठा आरक्षण में झंडा तो भगवा है, लेकिन भगवा के लिए लड़ने वाली शिवसेना की मुशिकलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। उसके लिए इधर खाई तो उधर कुंआ वाली स्थिति है।