दस्तक टाइम्स एजेन्सी/
जयपुर. राजस्थान तारों से जान-पहचान बढ़ाने के लिए फरवरी सबसे अच्छा महीना है. बात जयपुर की हो तो इस महीने न ज्यादा सर्दी न गर्मी और आसमान से चमकते-दमकते अनगिनत तारें.
तारों से सजी महफिल के बीच ग्रहों की अपनी एक अलग ही आभा है. कोरी आंखों से हम सिर्फ पांच ग्रहों को ठीक-ठीक देख पाते हैं. फरवरी में पांचों प्रमुख ग्रह रात्रि आसमान को आलोकित करने वाले हैं. बृहस्पति को छोड़ बाकी चार ग्रहों का जोर भोर में ही है, लेकिन बृहस्पति संध्याकाश से भोर तक बना रहेगा.
इस प्रकार सुबह सवेरे पांचों ग्रहों को एक साथ देखने का एक सुनहरा अवसर आपके पास है. सूर्योदय से एक घण्टे पहले बिस्तर से निकलिए और ग्रहों को पहचानने का प्रयास कीजिए. बीएम बिड़ला प्लेनेटोरियम के सहायक निर्देशक संदीप भट्टाचार्य के अनुसार इनका सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है-
पूरे महीने पूर्वी क्षितिज पर रहेगा चंचल बुध:
धनु से मकर तक गतिमान चंचल बुध सीधी चाल में पूरे माह पूर्वी क्षितिज पर लगभग 10-15 डिग्री ऊपर बचा रहेगा. सुबह -सवेरे चमकदार शुक्र से तीन-चार डिग्री नीचे ज़रा उत्तर में इसे पहचानने का प्रयास सफलता दिलवा सकता है. प्रयास कीजिए. बुध की चमक एक तारे जैसी है.
सूर्योदय से पहले जगमाएगा ‘दैत्यगुरु’:
सबसे चमकदार ग्रह शुक्र जिसे हिंदू धर्म में ’दैत्यगुरू’ की उपमा दी गई है, पूर्वी क्षितिज पर अपना जलवा बिखेर रहा है. यह भी बुध के पीछे-पीछे ही धनु से मकर तक गतिमान है और क्षितिज पर दिनोंदिन नीचे उतर रहा है. सूर्यादय से पहले क्षितिज पर बस नजर उठाने की देर है – जगमगाता शुक्र आपको दिख जाएगा.
40 डिग्री पर आधी रात के बाद से महारथी मंगल:
महारथी मंगल तुला में है और आधी रात के आसपास और बाद में उससे भी पहले पूर्वी क्षितिज पर उदय होंगे. भोर में गुलाबी रंगत में कन्या के चमकदार नक्षत्र चित्रा से पूर्व दिशा में आप इसे पहचान लेंगें. चित्रा सफेद रंगत मे और लाल ग्रह से चमक में भी जरा कम लग रहा है. पूरे माह दक्षिण क्षितिज से 40 डिग्री ऊपर मंगल बना रहेगा.
अंधेरा घिरते ही पूर्वी क्षितिज पर चमकेंगे ग्रहराज बृहस्पति:
संध्याकाश मे शासन चल रहा है, ग्रहराज बृहस्पति का. सिंह पर सवार बृहस्पति वक्री चाल मे हैं. यह दिनोदिन पूर्वी क्षितिज पर जल्दी और जल्दी उदय हो रहा है, साथ ही साथ इसकी चमक भी बढ़ रही है. अंधेरा घिरते ही पूर्वी क्षितिज पर सफेद उज्जवल आभा में इसे पहचाना जा सकता है. एक दूरबीन से देखने पर इसके चार चन्द्रमा भी नजर आ जाते है. यह पूरे माह, पूरी रात नजर आएगा.
उत्तर में सर्पमाल तारामंडल में मौजूद है वलयधारी शनि:
वलयधारी शनि वृश्चिक राशि में है. सच पूछिए तो यह वृश्चिक राशि के ऊपर यानी उत्तर में सर्पमाल (Ophiucus) तारामण्डल में मौजूद है. भोर में वृश्चिक राशि के चमकदार लाल नक्षत्र ज्येष्ठा से उत्तर में इसे पकड़ा जा सकता है. दूरबीन से शनि के सुन्दर वलय भी दिख जाते हैं.