लखनऊ। राजधानी के विभूतिखण्ड इलाके में 9 साल पहले मुठभेड़ में मारे गये तीन युवकों का इंकाउंटर फर्जी था। इस बात की जांच सीबीसीआईडी ने की और इस मामले में आज 10 पुलिस कर्मियों के खिलाफ गोमतीनगर कोतवाली में नामजद रिपोर्ट दर्ज करायी गयी है। 2005 सितंबर माह में विभूतिखंड इलाके में रेलवे लाइन के किनारे एक मकान में तीन युवकों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिरा गया था। पुलिस का दावा था कि वह लोग लूट कर रहे थे। मुठभेड़ में मारे गये युवकों की आज तक शिनाख्त नहीं हो सकी है। इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आदेश पर जांच सीबीसीआईडी द्वारा की जा रही थी। जांचकर्ता इंस्पेक्टर डीएन मिश्रा ने अपनी छानबीन में इंकाउंटर को फर्जी पाया। चंद रोज पहले उन्होंने एसएसपी प्रवीण कुमार से मिलनकर इस मामले में एफआईआर दर्ज कराने की बात कही। एसएसपी ने गोमतीनगर पुलिस को रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया था। इसी आदेश पर बुधवार को इस मामले में गोमतीनगर पुलिस ने गोमती नगर के तत्कालीन एसओ निहाल अहमद, कौशाम्बी पश्चिम सरेरा निवासी दरोगा अवध किशोर शुक्ला वर्तमान में चिनहट कोतवाली में तैनात है। मेरठ इचौली निवासी रिटायर दरोगा एसपी सिंह, गोरखपुर शाहपुर निवासी रंजीत यादव, मिर्जापुर चुनार निवासी कांस्टेबल इंद्रजीत सिंह, बुलंदशहर पहासू निवासी कांस्टेबल वीरेंद्र सिंह, फर्रुखाबाद कमालगंज निवासी सिपाही विजय पाल यादव, बाराबंकी फतेहपुर के कांस्टेबल देवी प्रसाद, अम्बेडकर नगर बसखारी के कांस्टेबल रामजीत और रायबरेली लालगंज निवासी कांस्टेबल जितेंद्र सिंह शामिल हैं।