फीचर्डराष्ट्रीय

फर्जी नामों से 850 करोड़ रुपए जुटाए थे यादव सिंह

yadav_singh_fileलखनऊ :  अरबपति इंजीनियर यादव सिंह की देखरेख में नोएडा और ग्रेटर नोएडा में प्लॉटों की फर्जी नामों से बिक्री कर तकरीबन 850 करोड़ रुपए जुटाए गए थे। आयकर विभाग की प्रारंभिक जांच में कुछ ऐसे ही आंकड़े सामने आ रहे हैं। आयकर अधिकारी हलकान है कि आखिर यह रकम कई तो कहां गई? ट्रर नोएडा में पिछले वर्ष 2007-2014 के दौरान जो प्लॉट बेचे गए, उनमें से ज्यादातर औद्योगिक प्लॉट थे। इनमें से कई पर तो अब बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी हो चुकी हैं मगर इन प्लॉटों की बिक्री से मिला साढ़े आठ सौ करोड़ रुपया प्रदेश सरकार के खाते में नहीं है। आयकर विभाग को यादव सिंह और उनके साथियों की कंपनियोंे द्वारा फर्जी कंपनियां बनाकर खरीदे-बेचे गए प्लॉटों की बिक्री से इतनी ही राशि जुटाए जाने के प्रमाण मिल रहे हैं। इनका जोड़-घटाव किया जा रहा है। दस्तावेजों से तस्दीक भी की जा रही है। यकर अधिकारी इस पसोपेश में हैं कि आखिर इतनी बड़ी रकम गई तो कहां गई? आयकर सूत्रों ने कहा कि फिलहाल नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों से बीते वर्ष 2007 से हुई प्लॉटों की खरीद-फरोख्त का ब्योरा देने को कहा गया है। पूछा जा रहा है कि इन बिक चुके प्लॉटों की आखिर रजिस्ट्री कैसे हुई? उनके प्रथम मालिक कौन थे? उनके नाम-पते की पड़ताल की जा रही है। फिर उन्होंने किसे बेचा? इसके बारे में भी छानबीन की जा रही है ताकि काली कमाई का सिरे से सिरा जोड़ा जा सके। आयकर विभाग चेक या बैंक ड्राफ्ट के जरिये भी भूस्वामियों की सुरागरसी करने में लगा है। साथ ही इन प्लॉटों पर निर्माण करने वाले ज्यादातर बिल्डर कौन हैं? कहां हैं? ये सारे सवाल आयकर जांच अफसर सुलझाने में जुटे हैं। एजेंसी

Related Articles

Back to top button