फिर आ सकती है दुनिया में आर्थिक मंदी
नई दिल्ली : एक बार फिर वैश्विक मंदी का खतरा मंडराने लगा है, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की एक रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक कर्ज 164 ट्रिलियन डॉलर यानी 164 लाख करोड़ डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर है। इस कर्ज को भारतीय मुद्रा में बदला जाये तो यह करीब 10,660 लाख करोड़ रुपए है। वैश्विक कर्ज का यह ट्रेंड इतना खतरनाक है कि वित्तीय स्थिति बिगड़ने पर तमाम देशों के लिए अपने कर्ज को चुकाना मुश्किल हो जाएगा और दुनिया भीषण वैश्विक मंदी के चपेट में आ सकती है।
2016 में ग्लोबल पब्लिक और प्राइवेट कर्ज बढ़ते हुए अपने रिकार्ड उच्च स्तर पर पहुंच चुका है और यह दुनिया की जीडीपी का 225 प्रतिशत हो चुका है। इससे पहले वैश्विक कर्ज 2009 में अपने उच्च पर था। आईएमएफ के फिस्कल अफेयर्स डिपार्टमेंट के प्रमुख विटोर गैस्पर ने एक इंटरव्यू में कहा, 164 ट्रिलियन का आंकड़ा एक बहुत ही विशाल संख्या होती है। दुनिया में निजी कर्ज बहुत ही तेजी से बढ़ रहा है खासकर चीन में। दुनिया के कुल निजी खर्च का करीब 3 चौथाई हिस्सा तो सिर्फ चीन का है। बहुत ज्यादा कर्ज से देशों के खर्च बढ़ाने की क्षमता पर भी बुरा असर पड़ेगा, इससे उनकी विकास दर प्रभावित होगी और वे मंदी के चपेट में भी आ सकते हैं। प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में कर्ज और जीडीपी के अनुपात के मामले में सबसे ऊपर जापान है। पिछले साल उसका कर्ज जीडीपी का 236 प्रतिशत था, दूसरे नंबर पर इटली है जहां कर्ज जीडीपी का 132 प्रतिशत है। तीसरे नंबर पर अमेरिका है जिसका कर्ज उसके जीडीपी का 108 प्रतिशत है, आईएमएफ के मुताबिक पिछले साल भारत का कर्ज उसके जीडीपी का 70.2 प्रतिशत था जबकि चीन का 47.8 प्रतिशत था।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अमेरिका से कहा है कि वह अपनी फिस्कल पॉलिसी को फिर से तय करे, अमेरिका का फिस्कल डेफिसिट जिस गति से बढ़ रहा है, उस हिसाब से वह 2020 में 1 ट्रिलियन डॉलर यानी 1 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगा। कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में कुल कर्ज और जीडीपी का अनुपात खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से करीब एक तिहाई के कर्ज उनकी जीडीपी के 85 प्रतिशत से ज्यादा है। यह आंकड़ा साल 2000 के आंकड़े से तीन गुना ज्यादा है।