फिर चला रामपुरी चाकू
बहुत दिनों से शांत दिख रहा रामपुरी चाकू एक बार फिर लय में लौट आया है। रामपुरी खां साहब के बोल बचन ने सूबे की सरकार को असहज स्थिति में डाल दिया। पार्टी और सरकार में शामिल नेताओं को समझ में नहीं आ रहा कि आखिर वे खां साहब की बात का समर्थन करें या विरोध। बात गौ हत्या से शुरू होकर स्वयं उनकी हत्या तक जा पहुंची। यूएन में शिकायत पहुंची या नहीं खां साहब इस बहाने अपनी बात वहां पहुंचाने में कामयाब रहे, जहां वे पहुंचाना चाहते थे। एक बार फिर से ‘साइकिल’ पर सवारी करने को आतुर माठा यानि माननीय ठाकुर साहब से खां साहब के रिश्ते छत्तीस के हैं, यह तो जगजाहिर है। उनकी वापसी की खबरों के बीच खां साहब ने दांव चला और कह डाला कि माठा उनकी हत्या की साजिश कर रहे हैं। उनकी इस साजिश में भगवा पार्टी के नेता उनका सहयोग कर रहे हैं। खां साहब के इस दांव की किसी ने उम्मीद भी नहीं की थी, लेकिन अब उन पर तो किसी का जोर चलता नहीं। उनके एक बयान ने तो सूबे के गोश्त व्यापारियों तक के नथुने फुला दिए लेकिन खां साहब को इससे क्या, उससे क्या।