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फेडरेशन की जागीर नहीं हैं खिलाड़ी : राज्यवर्धन सिंह राठौड़

नई दिल्ली : देश में खिलाड़ी फेडरेशन या खेल संघों के मोहताज होते हैं। सरकार चाहकर भी इन खेल संघों पर नकेल नहीं कस पाती, लेकिन, खेल राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने दावा किया है कि अब ऐसा नहीं होगा। राठौर ने खेल संघों को चेतावनी तो दी, लेकिन इनमें राजनेताओं का कब्जा खत्म करने से इनकार किया, उनका मानना है कि समस्या राजनेता या कोई वर्ग विशेष नहीं बल्कि व्यक्तिगत सोच है। राठौड़ ने दावा किया कि ऑस्ट्रेलिया में चल रहे राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का प्रदर्शन खिलाड़ियों की मेहनत के साथ साथ सरकार की कोशिशों का भी नतीजा है। हम स्कूल स्तर पर ही 8-12 साल की उम्र में खिलाड़ियों की पहचान कर लेना चाहते हैं। यहीं से उनकी ट्रेनिंग और कोचिंग पर निवेश करना होगा और इसमें इन खिलाड़ियों के स्कूल और अभिभावकों की खास भूमिका होनी चाहिए। खेल मंत्री ने कहा कि पिरामिड स्ट्रक्चर में खेलों की आधारभूत सुविधा मुहैया कराने और ओलंपिक खेलों के लिए महौल बनाने पर जोर दिया जा रहा है। इसमें खेल संघों की भी बड़ी भूमिका होगी, लेकिन उन्हें अपना रवैया बदलना होगा, उन्होंने कहा कि खेल संघों को खेल और खिलाड़ियों को अपनी जागीर नहीं समझना चाहिए। राठौड़ ने कहा, ‘इस विश्वास के साथ कि जो भी हमें करना है वो मिलजुलकर करना है, खेलों को जिन्होंने अपनी जागीर बना रखा है, उन्हें पारदर्शिता लानी होगी और नया सिस्टम अपनाना पड़ेगा क्योंकि जब कोई खिलाड़ी अपने सीने पर तिरंगा लगाकर खेलता है तब कोई ये नहीं कह सकता कि ये मेरा है इसे मैं खिलाउंगा। देश का प्रतिनिधित्व करने वाला खिलाड़ी भारत के हर नागरिक के मान सम्मान का प्रतीक होता है। राठौर ने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार भारत में खेलों को बढ़ावा देने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, ओलंपिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार स्कूल स्तर से ही अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के मापदंडों के मुताबिक खेलों का आयोजन कर रही है। खेलो इंडिया इसी की शुरुआत है। खेल संघों पर राजनेताओं की पकड़ को खत्म कर उसे खिलाड़ियों को सौंपने की बहस से राठौर ने अपनी असहमति जताई, उनका मानना है कि सभी संघ प्रमुख राजनेताओं को एक ही चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। समस्या राजनीतिक बिरादरी की नहीं, बल्कि किसी एक विशेष व्यक्ति में हो सकती है, सभी संघों से राजनेताओं को हटा देना इसका समाधान नहीं है, यह व्यक्तिगत प्रतिबद्धता का मसला है। ऑस्ट्रेलिया में चल रहे राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को मिल रही सफलता पर खुशी जताते हुए राठौड़ ने कहा, हम इस बार कम खिलाड़ी भेजकर भी अधिक स्वर्ण ला रहे हैं। साथ ही उन खेलों में भी पदक जीत रहे हैं जिनमें हमारा प्रदर्शन पहले खराब रहता था, ये अच्छे संकेत हैं।

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