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फोन पर मिले तीन तलाक का दंश झेल रही रेहाना रजा ने तीन तलाक पर आए सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा वह अपनी लड़ाई लड़ रही हैं और आने वाली पीढ़ी को इसका लाभ मिलेगा। रेहना का वर्ष 1999 में न्यूरिया पीलीभीत निवासी मतलूब से निकाह हुआ था। वर्ष 2000 में वह अपने पति के साथ अमेरिका चली गईं। कुछ समय तक तो सब सही चलता रहा, लेकिन उसके बाद पति के व्यवहार में बदलाव आने लगा। उसने परिवार पर ध्यान देना बंद कर दिया और उसका उत्पीड़न भी करने लगा।
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इस बीच, 2011 में मां के देहांत पर वह अपने घर खटीमा आई थीं। उसका पति भी तीन माह बाद खटीमा आया था। यहां से वापस अमेरिका जाकर वह न्यूजीलैंड चला गया। जहां से उसने 25 अक्तूबर 2014 को फोन पर ही उसे तीन बार तलाक बोलकर संबंध विच्छेद कर लिए। रेहना का कहना है कि अब वह बेटे ताबिश की पढ़ाई का खर्च नहीं दे रहा है, जिससे उसकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
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इस मामले में वह उच्च न्यायालय में गई तो वहां से उसके हक में फैसला आया। वह अपनी ससुराल गई, जहां दस दिन रही भी, लेकिन उसके ससुराल वालों ने उसे तरह-तरह से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। अप्रैल-2017 में उस पर एसिड हमला भी किया गया। उसने आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया, लेकिन आज तक पुलिस ने कोई गिरफ्तारी नहीं की। रेहाना ने सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय को मुस्लिम महिलाओं के हक में बताया है।