बंगमुक्ति विरोधी मुल्ला को कभी भी फांसी
ढाका। बांग्लादेश के उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को जमात-ए-इस्लामी नेता और बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौर के युद्ध अपराधी अब्दुल कादर मुल्ला की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। राष्ट्रपति से दया याचना नहीं करने के मुल्ला के फैसले के बाद उसे किसी भी समय फांसी दी जा सकती है। डेली स्टार के मुताबिक यह पूछे जाने पर कि क्या वह राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करना चाहेगा मुल्ला ने अपने से अधिकारियों को अवगत करा दिया।
1971 के बंगमुक्ति संग्राम के दौरान मानवता के विरुद्ध अपराधों के लिए जमात के सहायक महासचिव मुल्ला को मौत की सजा सुनाई गई है। मुख्य न्यायाधीश मुहम्म्द मुजम्मिल हुसैन के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय अपीलीय पीठ ने जमात के सहायक महासचिव मुल्ला की याचिका खारिज कर उसकी फांसी का रास्ता साफ कर दिया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने अपने संक्षिप्त फैसले में कहा ‘‘मुल्ला की पुनर्विचार याचिका स्वीकार करने की कोई सूरत नहीं है।’’ सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का अर्थ यह है कि मुल्ला को कभी भी फांसी दी जा सकती है। उसे दी गई फांसी की सजा अभी भी वैध है। अटार्नी जनरल महबूबी आलम ने कहा ‘‘मुल्ला से यह पूछने के लिए कि वह राष्ट्रपति से दया की याचना करना चाहता है या नहीं सरकार ने दो बार कार्यपालक दंडाधिकारी भेज कर अपने कर्तव्य का निर्वाह कर लिया है।’’ आलम ने कहा कि दोनों ही अवसरों पर मुल्ला ने इस बारे में कुछ भी नहीं कहा। अदालत का फैसला आने के बाद बचाव पक्ष के मुख्य अधिवक्ता अब्दुर रज्जाक ने कहा ‘‘हम पूरा आदेश देखेंगे। फैसला जारी होने तक उसे फांसी नहीं दी जा सकती। कारावास नियम के अनुसार हमारे पास दया याचिका दाखिल कराने के लिए 23 दिसंबर तक का समय है।’’ अटार्नी जनरल महबूबी आलम ने हालांकि कहा ‘‘मुल्ला के मामले में कारवास नियम लागू नहीं होगा।’’ इस बीच अधिकारियों ने कहा है कि मुल्ला को फांसी देने के लिए ज्यादा तैयारी की दरकार नहीं होगी। मुल्ला को अल्पकालिक नोटिस पर फांसी पर लटकाया जा सकता है क्योंकि कई तैयारियां पहले ही पूरी की जा चुकी हैं।
ढाका सेंट्रल जेल के एक अधिकारी ने कहा ‘‘उसे नहलाया जाएगा और आखिरी इच्छा पूछी जाएगी।’’ मंगलवार को आधी रात से पहले अंतिम मिनट पर मुल्ला के वकीलों ने अंतिम प्रयास में उच्चतम न्यायालय के चैंबर न्यायाधीश का बुधवार की सुबह 1०.3० बजे तक फांसी रोकने का स्टे दिखाया जो गुरुवार तक अगला नोटिस मिलने तक रुकी थी। बुधवार को अदालत ने पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली थी और अपना फैसला सुनाने के लिए गुरुवार सुबह तक का समय निर्धारित किया था। इससे पहले फैसले के बाद ढाका के शाहबाग इलाके में हजारों युवा खुशी मनाने के लिए एकत्र हो गए। विभिन्न छात्र संगठनों ने जुलूस निकालकर सरकार की जय-जयकार और विजय के नारे लगाए। लोग ‘जोय होक भाई जोय होक’ ‘शाबागेर जोय होलो’(यह शाबाग की जीत है) मुक्तिजुद्धेर जोय’ (मुक्ति संग्राम की जीत हुई) के नारे लगा रहे थे। 1971 के बंगमुक्ति संग्राम के दौरान जन संहार सहित छह युद्ध अपराधों के लिए पांच फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय युद्ध अपराध न्यायाधिकरण-2 ने मुल्ला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। तीन मार्च को राज्य ने मुल्ला की सजा अपर्याप्त होने का दावा करते हुए उच्चतम न्यायालय से मौत की सजा की अपील की थी।