बंगलुरु: उलसूर झील में फिर मरी हुईं मछलियां मिलीं
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बंगलुरु में उलसूर झील के पानी में सड़ रहा कूड़ा-कर्कट यहां के लोगों के लिए आम बात हो गई है लेकिन मंगलवार की सुबह लोग उस वक्त हैरान रह गए जब झील में जगह-जगह मरी हुई मछलियां तैरती नजर आईं. बीते दो महीनों में मछलियों के मरने का ये दूसरा मामला है.
साफ-सफाई के वादे खोखले
7 मार्च को झील में हजारों मछलियां मृत पाई गईं थी जिसके बाद प्रशासन ने इसकी साफ-सफाई रखने के वादे किए थे. उलसूर के पास के इलाके में रहने वाले अशोक एफ ने कहा, ‘इससे पता चलता है कि सारे वादे खोखले हैं. पहले ये जगह बेहद खूबसूरत थी, पानी साफ था और हर तरफ हरियाली थी. अब हर तरह बदबू आती है.’
मार्च में प्रशासन ने झील को साफ करते वक्त करीब 200 किलो मरी हुई मछलियां निकाली थी लेकिन लोगों का कहना है कि उस वक्त भी झील में काफी मरी हुई मछलियां रह गई थी. प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा, ‘प्री-मॉनसून बारिश की वजह से सीवेज का पानी झील में चला गया है. इसके अलावा झील में पड़ा कचरा भी इसका एक कारण है.’
पानी में घट गया ऑक्सिजन का स्तर
कर्नाटक स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के मुताबिक पानी में ऑक्सिजन का स्तर घटने की वजह से भी मछलियों की मौत हो रही है. मंगलवार को पानी में ऑक्सीजन का स्तर 1 मिलीग्राम प्रति लीटर था जबकि सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की तरफ से इसकी सीमा 4 मिलीग्राम प्रति लीटर तय की गई है.
अब तक पूरी तरह साफ नहीं हुई झील
पिछली बार मछलियों के मरे हुए पाए जाने के बाद झील की देखरेख कर रही बंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) से सीवेज के पानी को झील में आने से रोकने के लिए कहा गया था. हालांकि बीबीएमपी ने दावा किया है कि वो सीवेज का पानी रोक चुकी है लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि ये काम अब तक पूरा नहीं हुआ है. मछलियों को देखकर तो बीबीएमपी के दावे खोखले ही नजर आते हैं. उलसूर में लंबे समय से रह रहे शांति रामाकृष्णन ने कहा, ‘यहां का ट्रीटमेंट प्लांट काम नहीं करता और प्रशासन पर भी इस पर निगरानी नहीं रखता है. साफ है कि सबक नहीं लिया गया है.’