बंगाल में NRC: ममता विरोध में खड़ी, अगले हफ्ते कोलकाता पहुंचेंगे अमित शाह
असम में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनआरसी) पर मचे बवाल के बाद अब पश्चिम बंगाल में इसको लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार में तना-तनी चल रही है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शुरू से इसके विरोध में डटी हुई है, वहीं केंद्र की भाजपा सरकार हर हाल में इसे पश्चिम बंगाल में लागू करना चाह रही है। इस अहम मुद्दे को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अगले हफ्ते पश्चिम बंगाल पहुंचेंगे। शाह एक अक्तूबर को कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में एनआरसी और नागरिकता संशोधन बिल पर लोगों को संबोधित करेंगे। इससे पहले उन्होंने कश्मीर, अनुच्छेद 370 और धारा 35ए पर महाराष्ट्र के मुंबई में संबोधित किया था।
मालूम हो किे पिछले हफ्ते दिल्ली के तीन दिवसीय दौरे पर आईं ममता ने बीते बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। इसके बाद वह गृहमंत्री शाह से भी मिली थीं। दोनों के बीच एनआरसी को लेकर गंभीर चर्चा हुई थी। उन्होंने शाह से एनआरसी में छूटे लोगों को एक और मौका देने का आग्रह किया था।
दिल्ली से लौटने के बाद ममता जब सोमवार को व्यापार संघों की बैठक को संबोधित कर रही थीं तो अपने भाषण में वह भाजपा पर हमलावर दिखी थीं। उन्होंने कहा था कि एनआरसी को लेकर भय का माहौल बनाया जा रहा है। इस वजह से राज्य में छह लोगों की मौत होने का दावा करते हुए उन्होंने कहा था कि वह राज्य में एनआरसी लागू नहीं होने देंगी।
असम में 19 लाख लोग छूटे, ममता बोलीं- यहां नहीं होने देंगे
असम में हाल ही में प्रकाशित अंतिम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) में 19 लाख से ज्यादा लोगों के नाम नहीं हैं, जिसमें 12 लाख हिंदू शामिल हैं। इनमें भी बड़ी संख्या आदिवासियों की है, जिसे असम का मूल निवासी माना जाता है।
ममता बनर्जी ने कहा कि एनआरसी बंगाल या देश के किसी भी हिस्से में नहीं होगा। असम में तो यह असम समझौते की वजह से हुआ। साल 1985 में तत्कालीन राजीव गांधी सरकार और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के बीच यह समझौता हुआ था। उन्होंने कहा कि बंगाल में प्रदेश के लोग मुझ पर भरोसा रखें, यहां एनआरसी को कभी मंजूरी नहीं मिलेगी।
हर हाल में नागरिकता संशोधन बिल पारित कराना चाहती है भाजपा
असम में एनआरसी पर मचे बवाल और सरकार की किरकिरी होने के बाद भाजपा का उद्देश्य हर हाल में नागरिकता संशोधन बिल को पास कराना है। नवंबर में होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान भाजपा सरकार इस बिल को पारित कराना चाहती है।
असम में एनआरसी से छूटे लोगों के लिए भी सरकार ने रणनीति बना रखी है। पिछले दिनों गृह मंत्री अमित शाह ने अपने दो दिवसीय असम दौरे में राज्य सरकार से गहन विमर्श किया था। एनआरसी से छूटे परिवार के लोगों का नाम दर्ज कराने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी तय की गई।
सूत्रों की मानें तो भाजपा चाहती है कि राज्य सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाए। इस बीच थोड़ा समय बीतेगा और संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो जाएगा। फिर इसी सत्र में नागरिकता संशोधन बिल को पारित करा कर ऐसे लोगों को राहत दे दी जाएगी।
बिल पास कराना इतना भी आसान नहीं
राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि नागरिकता संशोधन बिल की पास कराना इतना भी आसान नहीं है। अपने पहले कार्यकाल में भाजपा सरकार इस बिल को पारित कराने में नाकाम रही है। राज्यसभा में बहुमत के अभाव में सरकार इसे कानूनी जामा नहीं पहना पाई। चूंकि यह संविधान संशोधन बिल है। ऐसे में सरकार को बिल पारित कराने के लिए दो तिहाई बहुमत चाहिए।