बच्चे का अंगूठा पीना करता है आपको शर्मिदा तो ये खबर जरूर पढ़ें

 अक्सर माता—पिता को बच्चे के अंगूठा पीने की आदत से दूसरों के सामने शर्मिदा होना पड़ता है। आमतौर पर 3 से 6 महीने की उम्र के भीतर बच्चे अंगूठा पीना शुरू कर देते हैं। चार साल की उम्र होने तक अत्यधिक बच्चे इस आदत से निजात पा लेते हैं।
अक्सर माता—पिता को बच्चे के अंगूठा पीने की आदत से दूसरों के सामने शर्मिदा होना पड़ता है। आमतौर पर 3 से 6 महीने की उम्र के भीतर बच्चे अंगूठा पीना शुरू कर देते हैं। चार साल की उम्र होने तक अत्यधिक बच्चे इस आदत से निजात पा लेते हैं। 
यदि बच्चा 6 वर्ष के उपरान्त भी अंगूठा पीता है तो आप इसे बच्चे की बचकानी हरकत नहीं समझें, बल्कि इस आदत की वजह तलाशने का प्रयास करें। चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ विवेक शर्मा का कहना है कि व्यग्रता, आकुलता, मानसिक असुरक्षा, माता-पिता द्वारा बच्चों के प्रति स्नेह, अनुराग व प्रेम की कमी की वजह से कुछ बच्चे इस आदत का शिकार होते हैं। इन बच्चों के लिए यह आदत मानसिक सुरक्षा कवच का काम करती है। कुछ बच्चों में ये आदत 12 से 15 साल की उम्र तक भी चल सकती हैं।
यह पड़ते हैं दुष्प्रभाव:
अधिकतर बच्चे इस आदत से 4 साल की उम्र तक निजात पा लेते हैं। इस उम्र तक इस आदत का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता है, लेकिन जैसे ही स्थाई दांतों का फुटाव होता है या निकलने शुरू होते हैं तब ये प्रक्रिया निम्न समस्यायें खड़ी कर सकती है।
1. नये निकलने वाले दांत अंगूठे के दबाव से उबड़-खाबड़ निकलते हैं।
2. ऊपर व नीचे के आगे के दाँतों के बीच रिक्त स्थान रह जाता हैं।
3. ऊपर के दांत बाहर की ओर उभरे हुए या निकले हुए हो जाते हैं।
4. दाँतों के बीच में रिक्तता की वजह से भाषा अस्पष्ट हो सकती है।
5. ऊपर के दाँत बाहर होने की वजह से चोट लगने का ज्यादा अंदेशा रहता है।
6. यदि अंगूठे की सफाई का ध्यान न रखा जाये तो यह पेट के संक्रमित रोग का कारण बन सकता है।
छुड़ाने के उपाय:-
1. बच्चे को मानसिक रूप से तैयार करें। इसमें बच्चे को स्नेह, अनुराग व मानसिक सुरक्षा की जरूरत होती है।
2. कई बार अंगूठा पीने की आदत, बाल पकड़ने व नाक रगड़ने के साथ होती है। यदि इन आदतों को बंद कर दिया जाये तो अंगूठा पीने की आदत स्वतः छूट जाती है।
3.यदि बच्चा जिस दिन या रात में स्वतः अंगूठा न पीये तो उसे पुरस्कृत किया जाना चाहिए।
 
 



