बजट के केंद्र में रहा हाउसिंग सेक्टर, सभी को आवास देने की तरफ कदम
अब पेंशन फंड व बीमा कंपनियों से कर्ज ले सकेंगी हाउसिंग कंपनियां
नई दिल्ली। सरकार जानती है कि वर्ष 2022 तक हर भारतीय के सिर पर छत देने के वादे को पूरा करने में उसे अब ज्यादा मुस्तैदी दिखानी होगी। शायद यह एक वजह है कि आवास क्षेत्र की दशकों पुरानी मांग इस बार सरकार ने स्वीकार कर ली है। सस्ते व किफायती आवास उद्योग क्षेत्र को आम बजट 2017-18 में बुनियादी क्षेत्र का दर्जा मिल गया है।इसके साथ ही सरकार ने व्यक्तिगत हाउसिंग लोन को बढ़ावा देने के लिए नेशनल हाउसिंग बैंक के जरिए 20 हजार करोड़ रुपये की राशि देने का प्रावधान किया है। यह राशि बतौर होम लोन अगले वित्त वर्ष के दौरान वितरित की जाएगी। कहने की जरुरत नहीं कि रियल एस्टेट उद्योग ने इस बजट का दिल खोल कर स्वागत किया है।
पिछले वर्ष के आम बजट में पहली बार सरकार की तरफ से सस्ते व किफायती आवास उपलब्ध कराने वाले निजी उद्यमियों को विशेष राहत दी गई थी। महानगरों में 30 वर्ग मीटर और गैर महानगरों में 60 वर्ग मीटर के बिल्ट अप एरिया वाले आवासों को कई तरह के कर राहत देने का ऐलान किया गया था। लेकिन अब इस परिभाषा को कारपेट एरिया में बदल दिया गया है।
यही नहीं इन आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने की अवधि भी तीन वर्ष से बढ़ा कर पांच वर्ष कर दी गई है। वित्त मंत्री जेटली ने उम्मीद जताई है कि इन फैसलों से हाउसिंग सेक्टर में अब जम कर निवेश होगा। वित्त मंत्री की यह बात रियल एस्टेट सेक्टर की कंपनियों की प्रतिक्रिया देख कर सही जान पड़ती है। कई रियल एस्टेट कंपनियों ने यहां तक कहा है कि बजट ने सबसे ज्यादा हाउसिंग सेक्टर पर ध्यान दे कर उनके लिए बहुत बड़ा अवसर मुहैया कर दिया है।
सरकार की तरफ से यह घोषणा तब की गई है जब बाजार में होम लोन की दरों में कमी की सूरत बन रही है। नोटबंदी के बाद बैंकों के पास काफी राशि जमा हो गई है और अब उन्होंने ब्याज दरों को घटाना कम करना शुरु कर दिया है। नोटबंदी से रियल एस्टेट की कीमतों में भी कमी का रुख है।
एक तरफ होम लोन सस्ता होगा और दूसरी तरफ कर प्रोत्साहन मिलने से रियल एस्टेट कंपनियां ज्यादा मकान बनाने की परियोजनाओं की शुरुआत करेंगी। सरकार ने उन बिल्डरों का भी ख्याल रखा है जिनके पास तैयार मकानों का स्टॉक पड़ा हुआ है। मौजूदा नियम के मुताबिक तैयार होने के बाद भी अगर मकान नहीं बिकते हैं तब भी कंपनियों को एक तरह का टैक्स देना पड़ता है। अब इन्हें मकान तैयार होने के एक वर्ष बाद तक टैक्स नहीं देना पड़ेगा।
बुनियादी उद्योग का दर्जा मिलने के बाद अब यह हाउसिंग सेक्टर को कई तरह से फंड मिलने लगेगा। मसलन, अब यह कंपनियां पेंशन फंड व बीमा कंपनियों से भी कर्ज ले सकेंगी। इन्हें एक बुनियादी कंपनियों को मिलने वाली अन्य छूट भी मिल सकेगी।