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बजट सत्र का दूसरा चरण भी चढ़ जाएगा हंगामे की भेंट, नहीं दिख रही निजात की सूरत

संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण का पहला हफ्ता पीएनबी घोटाला, आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा के मुद्दे पर हंगामे की भेंट चढ़ गया। विपक्ष और सरकार के अपने रुख पर अड़े रहने से संसद की कार्यवाही के सुचारु रूप से चलने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है।

 

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और तेलुगुदेशम पार्टी  (टीडीपी) ने साफ कर दिया कि गतिरोध को हल करने का सम्मानजनक प्रस्ताव मिले बिना उनका आक्रामक रुख जारी रखेगा। पीएनबी घोटाले में कांग्रेस पर जवाबी हमला बोल रही भाजपा ने भी अपने तेवर कड़े कर लिए हैं। विपक्ष पर पलटवार के लिए पार्टी ने 12 से 14 मार्च तक सांसदों की उपस्थिति अनिवार्य करने के लिए व्हिप भी जारी किया है।

गतिरोध को खत्म करने के लिए बीच का रास्ता निकालने के बदले सरकार और विपक्ष में तल्खी बढ़ गई है। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने गतिरोध के लिए को प्रधानमंत्री के साथ-साथ लोकसभा स्पीकर को भी निशाने पर लिया। उन्होंने स्पीकर पर सदन में न बोलने देने और संसदीय परंपराओं का पालन न करने का आरोप लगाया। जबकि सरकार पर गतिरोध तोड़ने के बदले अहं दिखाने का आरोप लगाया।

तृणमूल के कल्याण बनर्जी ने कहा कि पीएनबी घोटाला गंभीर मामला है। सरकार इस मुद्दे पर अपने हिसाब से चर्चा कराकर बचना चाहती है। हम ऐसा नहीं होने देंगे। जबकि टीडीपी के वाईएस चौधरी ने सरकार पर आंध्र प्रदेश के साथ छल करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हम राज्य केे विशेष राज्य का दर्जा के सवाल पर सरकार का स्पष्ट रुख चाहते हैं। जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक सदन में टीडीपी का विरोध जारी रहेगा।

इस बीच सरकार ने भी विपक्ष के आगे नहीं झुकने का संकेत दिया है। संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कहा कि हम पीएनबी घोटाला सहित सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार हैं। पीएनबी मामले में नियम 193 के तहत चर्चा के लिए सभी दल राजी हुए थे लेकिन अब अचानक उनका रुख बदल गया है। जाहिर है कि विपक्ष चर्चा से भागना चाहता है क्योंकि खासतौर से कांग्रेस को पता है कि चर्चा में वे सारे तथ्य सामने आएंगे जिनके लिए वह खुद जिम्मेदार है।  

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