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बड़ी खबर : इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, राजनीतिक पार्टियों को बताना होगा कहां से आया चंदा

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि सभी राजनीतिक दलों को बताना होगा कि आखिर चंदा कहां से और किस मोड में मिल रहा है. अदालत ने सभी राजनीतिक पार्टियों को आदेश दिया है कि वो 15 मार्च तक मिले इलेक्टोरल बॉन्ड्स की सारी डिटेल चुनाव आयोग को 30 मई के अंदर बंद लिफाफे में सौंपे. इसके साथ सभी दलों को बैंक डिटेल्स भी देनी होगी. अदालत ने अपने फैसले में चुनावी बॉन्ड पर कोई रोक नहीं लगाई है, ऐसे में यह फैसला सरकार के लिए राहत भरा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा चुनावी बॉन्ड को लेकर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड की वकालत की थी. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल सुप्रीम कोर्ट में बताया कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान चुनावी बॉन्ड के मुद्दे पर कोर्ट आदेश न पारित करे. केंद्र ने आग्रह किया था कि कोर्ट को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए. चुनाव प्रक्रिया के पूरा होने के बाद इस मुद्दे पर फैसला लेना चाहिए. चुनावी बॉन्ड योजना को अंग्रेजी में ‘इलेक्ट्रल बॉन्ड्स स्कीम’ नाम से जाना जाता है. ये बॉन्ड भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से मिलेंगे. जिन 29 शाखाओं से बॉन्डस खरीदे जा सकते हैं, वे इन शहरों में हैं. नई दिल्ली, गांधीनगर, चंडीगढ़, बैंगलोर, भोपाल, मुंबई, जयपुर, लखनऊ, चेन्नई, कलकत्ता और गुवाहाटी. इन बॉन्ड्स को भारत का कोई भी नागरिक, कंपनी या संस्था चुनावी चंदे के लिए खरीद सकेंगे. ये बॉन्ड एक हजार, दस हजार, एक लाख और एक करोड़ रुपये तक हो सकते हैं. सरकार की ओर से आरबीआई ये बॉन्ड्स जारी करेगा. दान देने वाला बैंक से बॉन्ड खरीदकर किसी भी पार्टी को दे सकता है. फिर राजनीतिक पार्टी अपने खाते में बॉन्ड भुना सकेगी. बॉन्ड से पता नहीं चलेगा कि चंदा किसने दिया.

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