बराक ओबामा का एक ‘विशेष फोन’
वाशिंगटन । राष्ट्रपति बराक ओबामा को अमेरिकी नीति में बदलाव कर नरेंद्र मोदी को वाशिंगटन आमंत्रित करने में आखिरकर सिर्फ एक फोन करने की जरूरत पड़ी जिसने भारत के अगले प्रधानमंत्री को एक दशक से रोक रखा था। इट हाउस की तरफ से जारी विज्ञप्ति के अनुसार ‘‘राष्ट्रपति ने कहा कि वह अमेरिका-भारत की रणनीतिक साझेदारी के वादे को पूरा करने के लिए मोदी के साथ काम करने का इंतजार कर रहे हैं और वे दो लोकतंत्रों के बीच विस्तृत सहयोग को मजबूत करने व बढ़ाने के लिए तैयार हैं।’’ इट हाउस ने हालांकि 2००5 में मोदी के वीजा पर लगाई गई रोक को हटाने के संबंध में कुछ नहीं कहा यह प्रतिबंध 2००2 के दंगे को देखते हुए लगाया गया था। देश विभाग ने हालांकि शुक्रवार को कहा था कि मोदी की जीत ने इस पेंचीदा मसले को मुद्दा नहीं रहने दिया है। विदेश विभाग की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा ‘‘भारत के प्रधानमंत्री का अमेरिका में स्वागत है। प्रधानमंत्री होने के नाते मोदी ए-1 वीजा के अधिकारी होंगे।’’ इससे पहले व्हाइट हाउस के प्रेस सविच जे कार्ने ने कहा था ‘‘भारत के प्रधानमंत्री को अमेरिका यात्रा के लिए वीजा मिलेगा और अमेरिका नई सरकार और नए प्रधानमंत्री के साथ काम करने का इंतजार कर रहा है। मैं इस संदर्भ में किसी तरह की समस्या नहीं देखता।’’ मोदी के वीजा पर प्रतिबंध लगाना जार्ज बुश सरकार द्वारा उठाया गलत कदम था कार्ने ने कहा ‘‘मैं आपको यह बता सकता हूं कि भारत के प्रधानमंत्री का अमेरिका में स्वागत किया जाएगा। मैं यह भी कहूंगा कि भारत में पूर्व अमेरिकी राजदूत नैंसी पावेल सहित अन्य अमेरिकी अधिकारी मोदी से मिल चुके हैं इसलिए वह हमारे लिए बिल्कुल अनजाने नहीं हैं।’’ र्ने ने अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए मौजूदा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रति आभार प्रकट किया।