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बर्थडे स्पेशल: दिलीप सरदेसाई के इस दोहरे शतक को कभी नहीं भूल पाएगा क्रिकेट जगत

टीम इंडिया के पूर्व टेस्ट क्रिकेटर दिलीप सरदेसाई आज अपना 78वां जन्मदिन सेलिब्रेट कर रहे हैं। स्पिन गेंदबाजी के खिलाफ अब तक के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज माने जाने वाले दिलीप सरदेसाई गोवा से ताल्लुक रखने वाले भारतीय क्रिकेट टीम में सिलेक्ट होने वाले इकलौते स्टार खिलाड़ी हैं। आइए उन्हें जन्मदिवस के अवसर पर जानते हैं उनसे जुड़ी पांच खास बातों के बारे में…

दिलीप सरदेसाई का जन्म साल 1940 में गोवा के मारगांव में उस वक्त हुआ जब यहां पुर्तगालियों का शासन था। इसके बाद इनका परिवार बॉम्बे (अब मुंबई) में शिफ्ट हो गया। उनके बेटे राजदीप सरदेसाई बताते हैं कि उनके पिता ने 17 साल की उम्र तक कभी मैदान पर नहीं उतरे थे, लेकिन सिर्फ चार साल बाद ही उन्होंने क्रिकेट के गलियार में अपनी खास पहचान बना ली थी। वह गोवा से टीम इंडिया में सिलेक्ट होने वाले इकलौते खिलाड़ी हैं।

बॉम्बे यूनिवर्सिटी के लिए रोहिंग्टन बारिया ट्रॉफी (1959-60) में शानदार प्रदर्शन की वजह से सरदेसाई अपना पहला फर्स्ट क्लास मैच नवंबर 1960 में पाकिस्तान के खिलाफ पूना में खेले। अपने पहले ही मैच में 87 रन की शानदार पारी खेलने वाले सरदेसाई ने बोर्ड प्रेजीडेंट इलेवन के लिए खेलते हुए पाकिस्तान के खिलाफ अपना पहला शतक भी जड़ा था।

वैसे तो सरदेसाई को स्पिन के खिलाफ एक बेहतरीन बल्लेबाज माना जाता था, लेकिन साल 1962 में उन्होंने तेज गेंदबाजी के खिलाफ भी अपनी बेहतरीन बल्लेबाजी का नमूना पहली बार दुनिया के सामने पेश किया था। वेस हॉल और चार्ली ग्रिफिथ जैसे कैरीबियाई गेंदबाजों का खौफ उन दिनों क्रिकेट में काफी कोहराम मचा रहा था, लेकिन सरदेसाई ने अपने बल्ले से वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाजों की कमर तोड़कर रख दी थी।

पूर्व एक्स क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेटर मकरंद वेंगंकर ने एक बार अपनी किताब ‘गट्स एंड ग्लोरी’ में दिलीप सरदेसाई और उनकी पत्नी नंदिनी पंत को लेकर बड़ा खुलासा किया था। उन्होंने बताया कि जब दोनों पहली बार मिले थे, उसके तुरंत बाद सरदेसाई को वेस्टइंडीज टूर के लिए रवाना होना था। इस दौरान दोनों एक दूसरे काफी चिट्ठियां लिखा करते थे। दौरा खत्म होने तक सरदेसाई अपनी होने वाली पत्नी को करीब 90 खत लिख चुके थे।

न्यूजीलैंड के खिलाफ दिलीप सरदेसाई की उस डबल सेंचुरी को कभी नहीं भुलाया जा सकता, जिसने विदेश में देश का सम्मान बचाया था। दोनों टीमों के बीच साल 1965 में एक अहम टेस्ट सीरीज का तीसरा मुकाबला खेला गया था। इस मैच में टीम इंडिया को 88 रन पर ढेर करने के बाद न्यूजीलैंड ने 297 रन की बढ़त बना ली थी। दूसरी पारी में सरदेसाई ने ऐसी डबल सेंचुरी जमाई के न्यूजीलैंड हक्का बक्का रह गई और सरदेसाई ने टीम के सिर से हार का संकट टाल दिया।

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