बवाल करने वाले वकीलों के खिलाफ एफआईआर व तहरीर
एजेंसी/ साथी अधिवक्ता श्रवण कुमार वर्मा की हत्या के बाद आगजनी व तोड़फोड़ करने वाले उपद्रवी वकीलों के खिलाफ बृहस्पतिवार को वजीरगंज कोतवाली में पांच और एफआईआर दर्ज की गईं।
पुलिस को 12 अन्य लोगों की तरफ से रिपोर्ट दर्ज करने के लिए तहरीर मिली हैं। इंस्पेक्टर महंथ यादव का कहना है कि ज्यादातर तहरीर वाहन क्षतिग्रस्त करने की हैं।
उन्होंने बताया कि अब तक वकीलों के खिलाफ अराजकता, मारपीट, आगजनी, तोड़फोड़, सरकारी संपत्ति के नुकसान व लूटपाट की धाराओं में आठ मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। देर रात तक रिपोर्ट दर्ज करने का सिलसिला जारी था।
स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक की तरफ से दर्ज मामले में कहा गया है कि करीब 150 उपद्रवी वकीलों ने परिसर में घुसकर 37 सरकारी व 59 निजी वाहन तोड़ डाले।
कंप्यूटर रूम और कार्यालय में रखी फाइलों में आग लगा दी। सिक्योरिटी गार्ड की वर्दी और साइकिल भी फूंक दी। जेनरेटर रूम की दीवार वकीलों ने तोड़ दी और वहां आगजनी की। इससे बड़ा जेनरेटर जल गया।
संयुक्त निदेशक का कहना है कि वकीलों के उपद्रव व आगजनी की सूचना देने और मदद के लिए मॉडर्न कंट्रोलरूम और फायर कंट्रोल का नंबर मिलाया, लेकिन कोई नहीं आया।
उपद्रव में घायल पत्रकार मो. अतहर रजा ने अज्ञात वकीलों पर लूट का आरोप लगाते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई है। उनका कहना है कि आगजनी, तोड़फोड़ और उपद्रव की कवरेज के दौरान वकीलों ने हमला करके कैमरा तोड़ दिया।
एक अन्य पत्रकार इमरान खान ने मारपीट कर कैमरा व बाइक तोड़ने और चेन लूटने का आरोप लगाते हुए रिपोर्ट की। जबकि इलेक्ट्रॉनिक चैनल के पत्रकार फैजी सिद्दीकी ने कैमरामैन से करीब सवा लाख रुपये कीमत का कैमरा छीनकर तोड़ने के आरोप में एफआईआर की है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग के चालक रियासत अली ने बस जलाने की रिपोर्ट लिखाई।
बुधवार को उपद्रव के बाद इंस्पेक्टर वजीरगंज महंथ यादव, सीआरपीएफ 93वीं वाहिनी बिजनौर के कंपनी कमांडर जगराम यादव और रोडवेज बस के चालक बाराबंकी निवासी मो. नसीम की तरफ से अज्ञात वकीलों के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई गई थी। इंस्पेक्टर ने बताया कि वाहन जलाने और क्षतिग्रस्त करने की 12 तहरीर मिली हैं जिन्हें एक साथ दर्ज किया जाएगा।
वकीलों ने पुलिस पर दीवानी कचहरी परिसर में बिना अनुमति के घुसने और लाठीचार्ज व वाहनों में तोड़फोड़ करने का आरोप लगाते हुए सेंट्रल बार को अर्जी देकर आम सभा बुलाने की मांग की है।
बृहस्पतिवार को वकीलों ने बड़ी संख्या में सेंट्रल बार के अध्यक्ष व सचिव को अर्जी देकर कहा कि 10 फरवरी को वकील श्रवण कुमार की हत्या के विरोध में हाईकोर्ट चौराहा पर प्रदर्शन चल रहा था।
इस दौरान सिविल कोर्ट परिसर का माहौल शांत था। इसके बावजूद करीब चार बजे पुलिस-पीएसी के जवान सिविल कोर्ट में घुस आए और अफरातफरी मचा दी। वकीलों के साथ मारपीट की और उनके वाहनों को चिह्नित कर तोड़ डाला।
वकीलों ने आम सभा बुलाने की मांग करते हुए पूछा कि पुलिस क्या जिला जज की अनुमति से परिसर में घुसी थी। अगर पुलिस बिना अनुमति के कोर्ट परिसर में घुसी तो इसके जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की गई।
लखनऊ में अधिवक्ता की हत्या के बाद बुधवार को हुए बवाल, तोड़फोड़, आगजनी और लाठीचार्ज की घटना पर हाईकोर्ट ने बेहद सख्त रुख अपनाया है।
मीडिया रिपोर्ट के आधार पर इस घटना का संज्ञान लेते हुए बृहस्पतिवार को सात जजों की वृहद पीठ ने लंच के बाद मामले की सुनवाई की। महाधिवक्ता सहित प्रदेश सरकार के तमाम वकील भी मौजूद रहे।
वृहद पीठ ने प्रमुख सचिव गृह को निर्देश दिया है कि पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट अदालत को सौंपे। पीठ का कहना था कि अदालतों की सुरक्षा तथा कानून-व्यवस्था को खतरा पैदा करने वालों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए। वह इस मामले को सिर्फ सरकार के भरोसे नहीं छोड़ सकते हैं। पीठ खुद इसे मॉनिटर करेगी।
वृहद पीठ ने प्रमुख सचिव को यह बताने के लिए कहा है कि कोर्ट परिसर में पुलिस किसकी इजाजत से दाखिल हुई? लाठीचार्ज और आंसू गैस छोड़ने का आदेश किसने दिया? वृहद पीठ ने बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश, सेंट्रल बार एसोसिएशन और अवध बार एसोसिएशन को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।