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बसंत पंचमी में पूजा का ये है शुभ मुहूर्त, आज ऐसे करें मां सरस्वती की पूजा

बसंत पंचमी हर वर्ष माघ मास की शुक्ल पंचमी के रूप में मनाया जाता है। बसंत का शाब्दिक अर्थ है मादकता। इस समय धरती पर उत्पादन क्षमता बढ़ जाती है, वृक्षों में नई कोपलें आने लगती हैं, पौधों में नयी कलियां होने लगती हैं।

आपको बता दे कि बसंत पंचमी से पांच दिन पहले से ही वसंत ऋतु आरम्भ हो जाती है। इस समय चारों ओर हरियाली व खुशहाली का वातावरण छाया रहता है। हर तरफ रंग-बिरंगे फूल दिखाई पड़ने लगते है। खेतों में पीली सरसों लहलहाती हुयी हर व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करती है। वसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा कहा जाता है। बसंत पंचमी के कामदेव व रति की पूजा की जाती है। इसी दिन माता सरस्वती का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है।
शुभ मुहूर्त- इस वर्ष 01 फरवरी को वसंत पंचमी मनाई जायेगी। इस दिन पूजा का शुभ समय सुबह 7 बजकर 50 मि0 से 11 बजकर 56 मि0 तक है।

मां सरस्वती की पूजा विधि-

देवी भागवत के अनुसार देवी सरस्वती की पूजा सर्वप्रथम भगवान श्री कृष्ण ने की थी।
प्रातःकाल समस्त दैनिक कार्यो से निवृत होकर स्नान, ध्यान करके माॅ सरस्वती की तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद कलश स्थापित गणेश जी तथा नवग्रहों की विधिवत पूजा करें। सरस्वती जी का पूजन करते समय सबसे पहले उनको स्नान करायें। तत्पश्चात माता को सिन्दूर व अन्य श्रंगार की वस्तुये चढ़ायें फिर फूल माला चढ़ाये। मीठे का भोगलगार सरस्वती कवच का पाठ करें। देवी सरस्वती के इस मन्त्र का जाप करने से ”श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा” असीम पुण्य मिलता है।

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