राज्य

बस्तर में 3 शहीद: जवानों को पता था हमला होगा, फिर भी घुसे नक्सलियों की मांद में

 jawan2_1457157084छत्तीसगढ़.बस्तर में नक्सलियों से घिरे 200 जवानों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। तीन जवान शहीद हो गए हैं। 17 घायल हैं। 12 की हालत गंभीर है। ये जवान बस्तर के डब्बामरका में तीन तरफ से घिर गए थे। यहां गुरुवार सुबह से एनकाउंटर चल रहा था। कई जवान खून से लथपथ थे, फिर भी मुस्कुराते हुए हौसले के साथ 26 घंटे नक्सलियों से लड़ते रहे।जवानों ने ‘भास्कर’ को बताई एनकाउंटर की कहानी- कैसे घुसे नक्सलियों की मांद में…
 
 
– जवानों ने बताया, ”नक्सलियों के एम्बुश में फंसकर हमारे तीन जवान शहीद हो चुके थे। कुछ घायल थे। सबको लेकर फायरिंग करते हुए हम किस्टाराम की ओर बढ़ रहे थे। गोलियों की बौछार के बीच जवाबी हमला करते हुए सात किमी चले।”
– घायल पुलिस सब इंस्पेक्टर पाेदांबर ने बताया, ”हमारा ऑपरेशन 1 मार्च को सुबह किस्टाराम से शुरू हुआ। पहली बार उस इलाके में घुस रहे थे, जो पूरी तरह से नक्सलियों के कब्जे में माना जाता है। हम गोलापल्ली के उस इलाके की ओर बढ़ रहे थे, जो नक्सलियों का हेडक्वार्टर माना जाता है।”
– ”हमें मालूम था कि हमला होगा। हम हर स्थिति से निपटने को तैयार थे। पांच दिन का राशन हमारे साथ था। दो दिन जंगल में सर्चिंग करने के बाद 3 मार्च को किस्टाराम से 14 किमी आगे बढ़े और एम्बुश में फंसे।”
– ”फायरिंग शुरू हुई, लेकिन घायलों ने भी हौसला नहीं खोया। हमारा ऑपरेशन सफल रहा। हम वहां घुस गए, जहां अब तक नक्सलियों की हुकूमत मानी जाती थी।”
– ”डब्बामरका पहुंचते-पहुंचते अंधेरा हो गया। सीआरपीएफ के कमांडर पीएस यादव ने फोर्स को घेरा बनाकर और पोजिशन लेकर वहीं रुकने के लिए कहा।”
– ”वे सैटेलाइट फोन से पुलिस और सीआरपीएफ अफसरों से लगातार संपर्क करने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन सिग्नल कमजोर था।”
– ”कई बार कॉल किया, तब सबको उन्होंने मैसेज दिया कि रात यहीं रुकना है।”
– ”इसके बाद सारे लोग घायलों के साथ पोजिशन लेकर घुप्प अंधेरे में चुपचाप लेटे रहे।”
– ”वहां माचिस की एक जलती तीली सबको मौत के मुंह में डाल सकती थी। सुबह बैकअप फोर्स आई, तब सबने पोजिशन बदली।”
 
कब से चल रहा था एनकाउंटर?
 
– 1 मार्च को सीआरपीएफ 208 और डीआरजी के जवानों की ज्वाइंट टीम किस्टारम से ऑपरेशन पर निकली थी।
– गुरुवार सुबह 10 बजे के करीब जवान डब्बामरका गांव के पास पहुंचे। यहां नक्सलियों ने जवानों पर फायरिंग शुरू कर दी।
– करीब 20 से ज्यादा जवान घायल हो गए थे। इनमें घायल फत्ते सिंह, एनएस लांजु और लक्ष्मण कुर्ती ने समय पर इलाज नहीं मिल पाने की वजह से दम तोड़ दिया।
– एनकाउंटर में दस से ज्यादा नक्सली मारे गए। नक्सली अपने साथियों के शव उठाकर ले गए।
– जवानों ने बताया- “गुरुवार शाम हेडक्वार्टर को बताया गया कि दो जवान शहीद हुए हैं। बाकी सब सुरक्षित हैं।”
– रात होते-होते पता चला कि दो सौ जवानों की पूरी कोबरा बटालियन ही फंस चुकी है।
 
जवानों के हौसले की तारीफ…
– इस पर स्पेशल डीजी नक्सल ऑपरेशन डीएम अवस्थी ने प्रमुख सचिव सुब्रमण्यम और उनके बाद बस्तर आईजी एसआरपी कल्लूरी से बात की।
– तीनों अफसराें के बीच देर रात तक योजना बनती रही। आखिर में तय किया गया कि फोर्स जहां है, वहीं ठहर जाए।
– रात में चलना यानी नक्सली जाल में फंसकर बड़े नुकसान को बुलावा देना है। उसके बाद ही फोर्स को वहीं डब्बामरका के पास रुकने का संदेश दिया गया।
– स्पेशल डीजी नक्सल ऑपरेशन डीएम अवस्थी ने कहा कि नक्सलियों ने तगड़ी प्लानिंग के साथ एम्बुश लगाया था। जवानों का हौसला ही है कि वे इतने बड़े एम्बुश से निकलकर बाहर गए।
– नक्सलियों के बीच फंसे करीब डेढ़ सौ से ज्यादा जवानों को निकालने के लिए शुक्रवार सबुह ऑपरेशन शुरू किया गया।
– रेस्क्यू ऑपरेशन में सात सौ से ज्यादा जवान शामिल थे। इस टीम का सामना नक्सलियों के तीन अलग-अलग दस्ते से हुआ था। इनमें तीन सौ से ज्यादा हथियारबंद नक्सली थे।
 

Related Articles

Back to top button