उत्तर प्रदेश

बहाई धर्म के संस्थापक बहाउल्लाह की 200वीं जयंती श्रद्धापूर्वक मनायी गयी

लखनऊ। बहाई धर्म के संस्थापक बहाउल्लाह की 200वीं जयंती समारोह बड़े ही श्रद्धापूर्वक लालबाग स्थित बहाई भवन में लखनऊ में मनायी गयी। बहाई भवन के प्रागंण को बड़े ही आकर्षक ढंग से सजाया गया था। प्रागंण का एक-एक कोना बहाउल्लाह की शिक्षाओं को अभिव्यक्त कर रहा था। देश-विदेश के ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों के बहाइयों ने इस भव्य समारोह में बड़े ही उत्साहपूर्वक भाग लिया। समारोह का प्रारम्भ बहाई यूथ गु्रप द्वारा प्रस्तुत की गयी संगीतमय प्रार्थनाओं से हुआ। इस अवसर पर बहाउल्लाह के संघर्षपूर्ण जीवन पर लघु फिल्म भी दिखाई गयी। बहाई धर्म की शिक्षाओं से ओतप्रोत बहाई साहित्य स्टाल तथा बहाउल्लाह की जीवन यात्रा के पोस्टर्स भी सभी के आकर्षण का केन्द्र थे। समारोह में शिक्षाविद् विनय गांधी तथा मोना गांधी ने जनसमुदाय को बहाई धर्म की प्रगतिशील तथा युगानुकूल शिक्षाओं से अवगत कराया। सिटी मोन्टेसरी स्कूल की श्रीमती फीरादा वाही, हेड, यूथ इमपॉवरमेन्ट एण्ड केपेसिटी बिल्डिंग ने सभी के प्रति आभार प्रगट किया।

वरिष्ठ बहाई सदस्य श्री संजीव उपाध्याय ने इस अवसर पर बताया कि बहाईयों का विश्वास है कि बहाउल्लाह इस युग के लिए ईश्वरीय दूत हैं। वह वहीं अवतार हैं जिसके आने का वचन सभी धर्मो में दिया गया है। बहाईयों का विश्वास है कि बहाउल्लाह इस युग के लिए ईश्वरीय दूत हैं। वह वहीं अवतार हैं जिसके आने का वचन सभी धर्मो में दिया गया है। हिन्दुओं के लिए विष्णु के दसवें अवतार कल्कि हैं, बौद्धों के लिए वे विश्व न्याय के अधिष्ठाता मैत्रेय बुद्ध हैं, इस्लाम के लिए वे ईश्वरीय चेतना के अवतरण हैं। ईसाई जगत के लिए वे ईसा हैं जो अपने दिव्य पिता की महिमा के साथ पुनः आए हैं।

बहाई प्रचारक प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि बहाउल्लाह का शाब्दिक अर्थ – प्रभु का प्रकाश है। मानव समाज आज जिस नवीन और महान युग में प्रवेश कर रहा है उस युग के ईश्वरावतार बहाउल्लाह का उद्देश्य प्राचीन विश्वासों के महत्व को कम करना नहीं है बल्कि उन्हें पूर्ण करना है। बहाउल्लाह का उद्देश्य आज के समाज को विख्ंडित करने वाले परस्पर विरोधी विचारों की विविधता पर जोर नहीं बल्कि उन्हें एक मिलन-बिन्दु पर लाना है। बहाउल्लाह का उद्देश्य अतीत काल के अवतारों की महानता अथवा उनकी शिक्षाओं के महत्व को कम करना नहीं बल्कि उनमें निहित आधारभूत सच्चाइयों को वर्तमान युग की आवश्यकताओं, क्षमताओं, समस्याओं और जटिलताओं के अनुरूप दुहराना है।

 

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