बहादुरी का दूसरा नाम थे हनुमंथप्पा, जानिए खास बातें
एजेन्सी/ 33 वर्षीय सैनिक हनुमंथप्पा ने 25 अक्तूबर 2002 को मद्रास रेजीमेंट की 19वीं बटालियन से सेना में कदम रखा था। आरंभ से ही वह हर क्षेत्र में आगे बढ़कर काम करते रहे।
2003 से 2006 में वह जम्मू कश्मीर के माहोर क्षेत्र में आतंकवाद विरोधी अभियान में सक्रिय रहे। 2008 से 2010 तक उन्होंने जम्मू कश्मीर में 54वीं राष्ट्रीय
राइफल्स (मद्रास)दिसंबर में उन्होंने तय किया कि वह दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र में जाएंगे। इस अधिकारी के मुताबिक हनुमंथप्पा हर परिस्थितियों में मुस्कुराने वाले शख्स थे। अपने साथियों और सहयोगियों के साथ उनके दोस्ताना संबंध थे। का प्रतिनिधित्व किया और आतंकियों के खिलाफ सक्रिय रूप से कार्य किया था। हनुमंथप्पा की खास बात यह रही कि वह अपने कर्तव्य के दौरान जितने सख्त थे, वहीं साथी सैनिकों के साथ उनका व्यवहार उतना ही मधुर था। यही कारण है कि सैनिकों के बीच वह काफी लोकप्रिय थे।