बांदा: भूख से मजदूर की मौत पर 2 कर्मचारी सस्पेंड, पीड़ित परिवार को 5 लाख का मुआवजा
उत्तर प्रदेश के बांदा में कथित तौर पर भूख से तड़पकर हुई दलित मजदूर नत्थू की मौत पर राज्य सरकार ने परिजनों को पांच लाख रुपये मदद देने की घोषणा की है. सीएम अखिलेश यादव की तरफ से डीएम योगेश कुमार ने मदद घोषणा की पुष्टि करते हुए बांदा में यह बात कही.
मजदूरी कर परिवार का पालता था पेट
नरैनी तहसील के मुंगुस पुरवा गांव में दलित मजदूर नत्थू अपनी पत्नी और 6 बच्चों समेत रहता था, दो बच्चे महाराष्ट्र में नौकरी करते थे. गांव वालोें ने बताया कि नत्थू की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी और पूरा परिवार अक्सर मजदूरी करके अपना पेट पालता था.
सूखा राहत पैकेट लेने जा रहा था नत्थू
बड़ी बेटी गुड़िया ने बताया था कि पिछले पांच दिनों से उसके यहां चूल्हा नहीं जला था घर में खाने को कुछ नहीं था. परिजनों दावा है कि नत्थू 4 दिनों से भूखा था इसलिए सूखा राहत पैकेट लेने जा रहा था इसी दौरान रास्ते में उसकी मौत हो गई.
प्रशासन ने कहा था भूख से नहीं हुई थी मौत
3 मई को मीडिया में नत्थू की भूख से मौत की खबर आते ही हड़कंप मच गया था. हालांकि प्रशासन भूख से हुई मौत के तर्क को यह कहते हुए नकार रहा था कि वह अंत्योदय और मनरेगा जॉब कार्डधारक था. डीएम ने बताया कि मजदूर परिवार कि आर्थिक स्थिति देखते हुए मुख्यमंत्री ने यह फैसला लिया है. बांदा के डीएम योगेश कुमार ने बताया कि इस मामले में सीएम कार्यालय से फोन आया है कि मृतक परिवार के आश्रितों को 5 लाख रुपये की मदद दी जाएगी.
लेखपाल और पंचायत सचिव निलंबित
परिजनों ने 3 मई को पोस्टमार्टम कराए बगैर शव का अंतिम संस्कार कर दिया था. मामला बांदा की नरैनी तहसील के मुंगुस पुरवा गांव का है. इस मामले में नरैनी एसडीएम को चेतावनी देते हुए लेखपाल और पंचायत सचिव को निलंबित कर दिया गया है. डीएम ने संभावना जताई है कि पीड़ित परिवार को लखनऊ बुलाकर मुख्यमंत्री स्वयं सहायता राशि सौंप सकते हैं.
मजदूरों के लिए 10 रुपये में भोजन स्कीम
गौरतलब है कि 1 मई को मजदूर दिवस के दिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लखनऊ में मजदूरों के साथ भोजन किया था और कहा था कि कड़ी धूप मेहनत करने वाले मजदूरों के लिए उन्होंने नई योजना शुरू की है जिसके तहत मजदूरों को अब 10 रुपये में भोजन मिलेगा. ये भोजन उनको उनके कार्यस्थल पर भी मुहैया कराया जाएगा.