जीवनशैली

बाबा ने कहा था- गले तक सफाई रखोगे तो पेट हमेशा साफ रहेगा, इसी में ब्रश पेट में ही चला गया

बाबा की बात मानकर दो लोगों ने ऐसा काम किया जिससे उसकी अतड़ी तक फट सकती थी। इस वजह से यूपी के आगरा से गौरव और दिल्ली ते आबिद को अस्पताल में भर्ती किया गया। अगर ऑपरेशन में जरा सी भी देरी हुई होती तो इनकी जान को खतरा था। गौरव ने बताया कि बाबा ने कहा था- ब्रश करते समय गले के अंदर तक सफाई करो, ऐसा करने से पेट हमेशा साफ रहेगा।

New Delhi: बाबा की बात मानकर दो लोगों ने ऐसा काम किया जिससे उसकी अतड़ी तक फट सकती थी। इस वजह से यूपी के आगरा से गौरव और दिल्ली ते आबिद को अस्पताल में भर्ती किया गया। अगर ऑपरेशन में जरा सी भी देरी हुई होती तो इनकी जान को खतरा था। गौरव ने बताया कि बाबा ने कहा था- ब्रश करते समय गले के अंदर तक सफाई करो, ऐसा करने से पेट हमेशा साफ रहेगा।  पेट साफ रहने से जिंदगी में कभी कोई परेशानी नहीं होगी। बाबा की बात मानकर दोनों ऐसा ही करते थे। वह ब्रश करते वक्त ब्रश को गले के अंदर तक ले जाते थे, ताकि अंदर की सफाई अच्छी तरह से की जा सके। लेकिन एक दिन ऐसा हुआ कि जान बाल-बाल बच गई। ब्रश ही फूड पाइप के रास्ते पेट के अंदर चला गया। पेट के अंदर ब्रश जाने से दोनों को दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया जहां डॉक्टरों ने एंडोस्कोपी करके पेट से ब्रश को बाहर निकाल लिया।     आपातकालीन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. प्रवीण अग्रवाल ने बताया कि यदि पेट से ब्रश निकालने में देरी होती तो अतड़ी फट सकती थी और इससे मरीज के पेट में संक्रमण फैल जाता और इससे जान जाने का भी खतरा था। बाबा के कहने पर दोनों ने आदत डाली थी। डॉ.अग्रवाल ने बताया कि इस मामले में मरीजों की शुरुआती जांच-पड़ताल और एंडोस्कोपी के बाद मरीजों के मैनेजमेंट में डॉ.जमशेद नैय्यर, डॉ. नयन हुल्लर और डॉ. अनुपम कुमार रंजन की अहम भूमिका रही।  अब दोनों मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हैं। दैनिक भास्कर में छपी  इस खबर से हमें ये सीख तो जरूर मिलती है किसी भी चीज की अति नुकसानदायक होती है। आपकी सुरक्षा आपके हाथों में है। आप इसे अपनी सुविधा अनुसार ही करिए, किसी के कहने पर नहीं।पेट साफ रहने से जिंदगी में कभी कोई परेशानी नहीं होगी। बाबा की बात मानकर दोनों ऐसा ही करते थे। वह ब्रश करते वक्त ब्रश को गले के अंदर तक ले जाते थे, ताकि अंदर की सफाई अच्छी तरह से की जा सके। लेकिन एक दिन ऐसा हुआ कि जान बाल-बाल बच गई। ब्रश ही फूड पाइप के रास्ते पेट के अंदर चला गया। पेट के अंदर ब्रश जाने से दोनों को दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया जहां डॉक्टरों ने एंडोस्कोपी करके पेट से ब्रश को बाहर निकाल लिया।

आपातकालीन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. प्रवीण अग्रवाल ने बताया कि यदि पेट से ब्रश निकालने में देरी होती तो अतड़ी फट सकती थी और इससे मरीज के पेट में संक्रमण फैल जाता और इससे जान जाने का भी खतरा था। बाबा के कहने पर दोनों ने आदत डाली थी। डॉ.अग्रवाल ने बताया कि इस मामले में मरीजों की शुरुआती जांच-पड़ताल और एंडोस्कोपी के बाद मरीजों के मैनेजमेंट में डॉ.जमशेद नैय्यर, डॉ. नयन हुल्लर और डॉ. अनुपम कुमार रंजन की अहम भूमिका रही।

अब दोनों मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हैं। दैनिक भास्कर में छपी  इस खबर से हमें ये सीख तो जरूर मिलती है किसी भी चीज की अति नुकसानदायक होती है। आपकी सुरक्षा आपके हाथों में है। आप इसे अपनी सुविधा अनुसार ही करिए, किसी के कहने पर नहीं।

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