बार्डर पर बसे लोगों ने एलान कर दिया है कि अब भले ही युद्ध हो जाए, वो मंजूर है लेकिन घर नहीं छोड़ेंगे।
सीमांत गांव में लोगों की वापसी के कारण रौनक तो लौट आई, लेकिन अधिकांश ग्रामीण आढ़ती व दुकानदारों के करजाई हो गए। ग्रामीणों ने वाहनों पर सामान लादकर सुरक्षित जगह ले जाने के लिए आढ़तियों से कर्ज लिया था।
गांव में रहने वाले गरीब परिवार भी तकरीबन 15 से 20 हजार रुपये के करजाई हो गए हैं। ग्रामीणों की मांग है कि पंजाब सरकार उन्हें मुआवजा दे जिन लोगों को घर से बेघर किया था।
सरहद से कुछ ही दूरी स्थित गांव गट्टी राजोके के सरपंच मक्खन सिंह ने बताया कि गांव में लगभग सभी परिवार लौट आए हैं, लेकिन ग्रामीणों का बहुत नुकसान हुआ है।
अधिकतर ग्रामीण आढ़ती व दुकानदारों से उधार पैसे लेकर वाहनों पर सामान लाद कर सुरक्षित जगहों व रिश्तेदारों के पास गए थे। सभी परिवार पंद्रह से बीस हजार रुपये के कर्ज में आ गए हैं।
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