उत्तराखंड

बार-बार कॉल करने पर भी नहीं आई ऐम्बुलेंस, सड़क पर दिया बच्चे को जन्म

ऐम्बुलेंस और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के चलते उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में दो गर्भवती महिलाओं को सड़क पर डिलिवरी के लिए मजबूर होना पड़ा। यह दो अलग-अलग घटनाएं चंपावत जिले में 48 घंटों में घटित हुईं। यहां लगातार कॉल करने पर भी इमर्जेंसी ऐम्बुलेंस सर्विस 108 से कोई जवाब नहीं मिला। जिले में तैनात एकमात्र डॉक्टर के छुट्टी पर होने के चलते मरीजों की स्थिति दयनीय हो गई है।बार-बार कॉल करने पर भी नहीं आई ऐम्बुलेंस, सड़क पर दिया बच्चे को जन्म

यह घटना उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमियों को उजागर करती है जहां 108 इमर्जेंसी सर्विस के अंदर मात्र 139 ऐम्बुलेंस ही हैं। पहले मामले में महिला को एक उच्च केंद्र में रिफर किया गया लेकिन परिजनों के लगातार कॉल करने पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। चंपावत से करीब 15 किलोमीटर दूर मौन पोखरी गांव की रेखा देवी को 3 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा, लेकिन अस्पताल स्टाफ ने उन्हें प्राइवेट क्लीनिक में ले जाने को कहा क्योंकि अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं था। 

मरीजों की बढ़ीं मुश्किलें 

रेखा के जेठ सुनील कुमार ने कहा, ‘हमें एक लंबी दूरी तय करके अस्पताल गए लेकिन वहां कोई डॉक्टर नहीं था। फिर हमने 108 इमर्जेंसी ऐम्बुलेंस सर्विस पर कॉल किया। हमने एक घंटे से ज्यादा वक्त तक इंतजार भी किया लेकिन कोई ऐम्बुलेंस नहीं मिली। थकान और गुस्से की वजह से हमने एक स्थानीय वाहन किराये पर मंगाया और चंपावत से 75 किमी दूर पिथौरागढ़ की ओर जाने लगे। इस दौरान रेखा को लेबर पेन हुआ और उसने चंपावत से 45 किमी की दूरी पर सड़क पर ही बच्चे को जन्म दे दिया। अब उन्हें पिथौरागढ़ में एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 

इसी तरह की एक घटना शनिवार को भी हुई जहां सुखीधाग गांव की कलावती देवी को ऐम्बुलेंस न मिलने पर एक प्राइवेट वाहन में टनकपुर ले जाया गया लेकिन 8 किमी की दूरी पर ही उन्हें लेबर पेन उठा और सड़क किनारे डिलिवरी करानी पड़ी। चंपावत के चीफ मेडिकल ऑफिसर एमएस बोरा ने कहा, ‘केवल एक स्त्रीरोग विशेषज्ञ ही जिले में तैनात है जो छुट्टी पर हैं। चंपावत के जिला अस्पताल में एक सर्जन भी है लेकिन एनेस्थियोलॉजिस्ट टनकपुर में तैनात है इसलिए ऑपरेशन में यहां मुश्किलें हैं।’ 

वहीं ऐम्बुलेंस सुविधा पर सीएमओ ने कहा, ‘चंपावत में 108 इमर्जेंसी सर्विस के तहत केवल पांच ऐम्बुलेंस हैं और इस वजह से सभी मरीजों को इसकी सेवा मिल पाना नामुमकिन है।’ 

 
 

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