अजब-गजब

बिना एक भी टहनी काटे इंजीनियर ने पेड़ पर बना दिया चार मंजिला घर, देख के हो जायेंगे हैरान

सोशल मीडिया पर आए दिन ऐसी कई तस्‍वीरें सामने आती है जो वाकई में हैरान कर देने वाली होती है। वहीं आपको बता दें कि कई बार तो ऐसी तस्‍वीरें भी देखने को मिली है जिसे देखकर तो अजीब लगता ही है और हंसी भी आती है। दरअसल इस बार भी कुछ ऐसी ही तस्‍वीरें सामने आई है जो वाकई में बेहद ही अजीबों गरीब है। वैसे आपने ऐसा कई बार देखा होगा कि इस दुनिया में कई लोग अपने जीवन गुजर बसर करने के लिए पहाड़ों, जंगलों और पेड़ों को काटकर घर बना रहे हैं क्‍योंकि वहां जगह का अभाव होता है लेकिन वहीं बात करें उदयपुर के चित्रकूटनगर की तो हाल ही में वहां एक इंजीनियर ने पेड़ काटे बिना उसके ऊपर 4 मंजिला घर बना दिया है।बिना एक भी टहनी काटे इंजीनियर ने पेड़ पर बना दिया चार मंजिला घर, देख के हो जायेंगे हैरान

जी हां आप भी सोच रहे होंगे कि भला ऐसा कैसे हो सकता है तो आपको ये जानकर और ज्‍यादा हैरानी होगी कि इसे बनाने के लिए इस पेड़ की एक भी टहनियां नहीं काटी गई। जी हां यहां किचन हो या फिर बाथरूम, डालियां इन कमरों के अंदर से भी गुजर रही हैं। वैसे दुनिया जो भी कहे लेकिन ये बात भी सच है कि हमें पेड़ नहीं काटना चाहिए और बिना पेड़ काटे आप अपना काम कैसे पूरा कर सकते हैं इसका उदाहरण इस इंजीनीयर ने बेहद उम्‍दा तरीके से पेश किया है।

अगर आपने ध्‍यान दिया होगा तो आपको दिखेंगा कि टहनियों पर ही डाइनिंग टेबल और टीवी आदि के लिए स्टैंड बनाए गए हैं और तो और ये घर इतना खुबसूरत है कि लोग इसे बाहर से भी देखने के लिए आते हैं।

अब आपके दिमाग में एक सवाल जरूर आ रहा होगा कि भला कौन है वो इंजिनियर जिसने इतना दिमाग लगाया है तो आपको बता दें कि इस घर के मालिक IIT कानपुर के 1970 बैच के केपी सिंह हैं जिन्‍होंने बताया कि इस पेड़ पर बना हुआ मकान करीब 87 साल पुराना है। इस घर को उन्‍होंने सन 1999 में बनाया था और अाज करीब ये मकान का 18 साल हो गए, लेकिन किसी प्रकार की परेशानी नहीं आई।

इतना ही नहीं इंजीनियर केपी सिंह का कहना है कि ‘आंधी-तूफान में बड़े-बड़े पेड़ भी टूट जाते हैं, लेकिन इस मकान को जरा सा भी कोई फर्क नहीं पड़ता है। वो इसलिए क्‍योंकि इसकी वजह एरो डायनामिक्स है।’ उनका कहना है कि इस घर को इस कदर डिजाइन किया गया है कि पेड़ की टहनियों के साथ ये भी उसी दिशा में उसी प्रपोर्शन में हिलते हैं।’

इंजिनियर केपी सिंह का कहना था कि 20 साल पहले जब उन्‍होंने इस तरह का मकान बनाने का सोचा था तो लोग उन्‍हें पागल कहने लगे थें क्‍योंकि उन्‍हें लगता था ये नामुमकिन है। लेकिन मैने इसे करने की ठानी और उस समय फोरमैन रहे शंकरजी लोहार ने मेरी काफी मदद की। इस घर की डिजाइनिंग मैने की और बाकी स्ट्रक्चर तैयार करना उनका। नतीजा आप सबके सामने है।

अब आप सोच सकते हैं कि 1999 में बना हुअा ये मकान अभी तक टिका हुआ है मकान को बनने में करीब 1 साल लगे थें और मकान बनने के बाद सन 2000 की न्यू ईयर पार्टी इंजिनियर और उनके दोस्‍तों ने मिलकर इसी घर में मनाई थी।

Related Articles

Back to top button