बिना मुहूर्त के घोड़ी पर चढ़ीं दुल्हनें और दूल्हों ने पहना मंगलसूत्र
नई दिल्ली। आपने अपने जीवन में कई शादियां देखी होंगी। लेकिन जिस शादी के बारे में हम आपको बताने जा उस तरह की अनोखी शादी के बारे में आपने शायद ही सुना होगा। इस शादी में बिना कोई मुहूर्त तय किए दूल्हा-दुल्हन से सात फेरे लिए। इस शादी की अनोखी बात यह भी थी कि इसमें दुल्हनें घोड़ी चढ़ कर आई और दूल्हों ने मंगलसूत्र पहना। हालांकि, ऐसा इन लोगों ने समाज में लैंगिक समानता (Gender equality) का संदेश देने के लिए किया।
कन्यादान की रस्म के बिना हुई शादी
यह मामला विजयापुर जिले के मुद्देबिहल से सामने आया। यहां के दुद्दागी और बारागुंडी परिवारों ने नालाटावाडा गांव के हल्लुर पैलेस में सोमवार को इस विवाह समारोह का आयोजन किया था। इस शादी में दूल्हे हालुमठ समुदाय से थे और दुलहनें बानाजिगा समुदाय कीं थीं। इस अंतरजातीय (Inter Cast) सामूहिक विवाह समारोह में कन्यादान, मुहूर्त और अक्षत (चावल के रंगीन दानों) से नव दंपत्ति को शुभकामनाएं देने की भी कोई परंपराएं (Traditions) भी बदली गईं। जैसे ही दूल्हों ने दुलहनों के मंगलसूत्र बांधा वैसे ही दुलहनों ने भी दूल्हों के गले में मंगलसूत्र डाल दिया।
शादी समारोह में इलाकल गुरु महंतेश स्वामी, लिंगसागुर विजय महंतेश मठ सिद्धलिंग स्वामी, गुलेदागुड्डा बासवराज देवारु, महंत तीर्थ सीर, सती मठ के बासवलिंग स्वामी और मदारा चेन्नैया गुरु पीठ के बासवमूर्ति मौजूद थे। बासवमूर्ति सरनारु ने कहा, ‘धर्म व जाति के पीछे भागने वालों को इस शादी से सीख लेनी चाहिए। ये विवाह समानता प्रधान हैं, यहां वर और वधु दोनों एक दूसरे को मंगलसूत्र बांधते हैं। कन्यादान की प्रथा समाप्त करना एक तरह से पितृसत्तात्मक समाज को नकारना है।’