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बिलासपुर विश्वविद्यालय के नए कुलपति प्रो.सदानंद शाही की नियुक्ति पर रोक
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बीएचयू के हिंदी विभाग के प्रोफेसर व भोजपुरी अध्ययन केंद्र के समन्वयक प्रो. सदानंद शाही के बिलासपुर विश्वविद्यालय के कुलपति बनाए जाने के फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। कुलपति पद की अर्हता पूरी न करने की शिकायत पर छत्तीसगढ़ के राजभवन ने उनकी नियुक्ति को अगले आदेश तक के लिए रोका है।
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इसके बाद से उनके कुलपति पद की अर्हता पर सवाल उठने लगे थे। यूजीसी के नियमों के अनुसार कुलपति पद के लिए कम से कम 10 साल प्रोफेसर होना जरूरी है। बिलासपुर विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 और विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति पद के लिए जारी विज्ञापन में भी 10 साल की प्रोफेसरशिप की अर्हता रखी गई थी।
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प्रो. शाही इस अर्हता को पूरी नहीं करते। उनके बायोडाटा के अनुसार वह 30 अक्तूबर, 2007 को प्रोफेसर हुए हैं। इस लिहाज से उनके दस साल के प्रोफेसरशिप को पूरे होने में अभी पांच माह का समय है।
बीएचयू विधि संकाय के शोध छात्र सौरभ तिवारी ने इसी को आधार बनाकर छत्तीसगढ़ के राज्यपाल और मुख्यमंत्री से शिकायत की थी और योग्य कुलपति बनाए जाने की मांग की थी। उधर बिलासपुर में भी छात्र संगठनों ने प्रो. शाही के कुलपति बनाए जाने पर विरोध प्रदर्शन किया था।