बिहार के लिट्टी-चोखा के USA से सिंगापुर तक दीवाने
पटना [जेएनएन]। बिहारी देसी व्यंजन लिट्टी-चोखा की पहचान अब इंटरनेशनल हो चुकी है। ज्यादा दिन नहीं हुए, जब अमेरिका में बसे बिहारियों ने ‘लिट्टी पर चर्चा’ कार्यक्रम आयोजित किया था। यह व्यंजन बिहारियों के साथ विश्व भर में गया। अब आगे फीलीपीन की राजधानी मनीला में आयोजित ‘वर्ल्ड स्ट्रीट फूड कांग्रेस’ में भी इसकी धूम मचेगी।
पटना के मौर्यालोक मार्केट में ठेले पर ‘डीके लिट्टी कॉर्नर’ चलाने वाले दिनेश कुमार और अशोक कुमार 31 मई से 4 जून तक मनीला में आयोजित ‘वल्र्ड स्ट्रीट फूड कांग्रेस’ में शामिल हो रहे हैं। इसमें दिनेश व अशोक के अलावा नई दिल्ली के दो और वेंडर भी भारत की तरफ से शिरकत करेंगे। भारत के ‘नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्ट्रीट वेंडर्स ऑफ इंडिया’ की ओर से विभिन्न मानकों को ध्यान में रखकर नॉमिनेशन भेजे गए थे, जिनमें इन चार वेंडरों का चयन हुआ।
रंग लाई सालों की मेहनत
अशोक कहते हैं कि उन्होंने साल 2003 में मौर्या लोक परिसर में दुकान शुरू की थी। शुरुआती दिनों में पटना में कोई ठेले पर लिट्टी नहीं बेचता था। उस समय पांच रुपये प्रति पीस कीमत थी। दिन भर में 200-250 रुपये की बिक्री होती थी। धीरे-धीरे बिजनेस बढ़ता गया और आज शहर के बोरिंग रोड चौराहा, कंकड़बाग व बाजार समिति में लिट्टी-चोखे के स्टॉल लगते हैं।
पहले जा चुके हैं सिंगापुर
मूल रूप से दरंभगा के रहने वाले दिनेश वर्ष 2013 में सिंगापुर में आयेाजित वल्र्ड स्ट्रीट फूड कांग्रेस में भी शिरकत कर चुके हैं। लिट्टी कॉर्नर को कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं। वे कहते हैं कि लिट्टी कॉर्नर की खासियत है स्वच्छता। लिट्टी में प्रयोग होने वाले सत्तू को घर पर तैयार किया जाता है। स्टॉल पर काम करने वाले बासू कहते हैं, साफ-सफाई के कारण ही हर वर्ग के लोग मौर्या लोक की इस लिट्टी का स्वाद लेते हैं।