ज्ञान भंडार

बिहार के विधायकों ने ली कसम, न पिएंगे न पिलाएंगे

wine-shimla_landscape_1458361756एजेन्सी/  पंचायत चुनाव की गहमागहमी के बीच बिहार में एक अप्रैल से शराबबंदी लागू हो जाएगी। बिहार विधानसभा ने बुधवार को बिहार उत्पाद संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इस मौके पर विधायकों न भी ‘न पीने, न पिलाने’ का संकल्प लिया।

सरकार ने जहां शराबबंदी की पूरी तैयारी कर ली है, वहीं बाजार में देसी की जगह कोल्ड टी (ठंडी ताड़ी) और ग्रीन (भांग की लस्सी) की मांग बढ़ने लगी है। आलम यह है कि ताड़ी को बाजार में नये कलेवर में उतारने की भी कोशिश चल रही है।

पीने वाले देसी शराब का स्टॉक भी करने लगे हैं। बृहस्पतिवार की शाम शराब की दुकानें सील हो जाएंगी और देसी और मसालेदार शराब को उत्पाद विभाग और  पुलिस नष्ट करना शुरू कर देंगे।

इससे पंचायत चुनावों के दौरान मुफ्त में छककर पीने वाले वोटरों में थोड़ी मायूसी है। हालांकि उम्मीदवारों ने उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था के तहत कोल्ड टी (ताड़ी) और ग्रीन (भांग) की व्यवस्था कर दी है। 

ताड़ी की दुकान चलानेवाले रामरूप पासवान कहते हैं कि देसी शराब आने से पहले जितनी ताड़ी बिकती थी, उतनी बिक्री शराबबंदी से पहले ही होने लगी है। दरभंगा में ग्रीन नाम से विख्यात भांग की लस्सी के दुकानदार संतोष कुमार का कहना है कि ग्रीन स्वास्थ्य के लिए देसी से कम खतरनाक है। लोग सदियों ने इसका सेवन करते आ रहे हैं। देसी बंद होने से निश्चित रूप से इसकी मांग बढ़ रही है।

 

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