बिहार : नशामुक्ति का अभियान तेज
गया : एक ओर बिहार सरकार एवं जिले की पुलिस के द्वारा सूबे को नशामुक्त करने के लिए लगातार जोरदार अभियान चलाया जा रहा है। हर रोज शराब कि खेप पकड़ी जा रही है एवं शराब के धंधेबाज भी गिरफ्तार किये जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी मामले प्रकाश में आते हैं जिन पर हैरत होती है । ऐसे ही एक मामले में सोमवार को गया नगर निगम के एक सफाई जमादार द्वारा निगम कार्यालय में नशे की हालत में हंगामा किये जाने के सुचना के कारण जिले में सरकार के इस अभियान की सफ लता पर दाग सा लगता नजर आ रहा है। बताया जाता है कि सोमवार को गया नगर निगम के सभागार में महापौर बीरेंद्र कुमार उर्फ गणेश पासवान की अध्यक्षता में निगम के सशक्त स्थाई समिति की महत्वपूर्ण बैठक चल रही थी। बैठक में शहर की सफाई, पेयजल व्यवस्था सहित आसन्न पितृपक्ष मेले को लेकर अधिकारी और समिति के सदस्य कार्ययोजना पर विचार-विमर्श कर रहे थे। इसी बीच निगम के वार्ड संख्या 41 का सफाई जमादार उमेश सिंह बैठक में घुस गया और हंगामा शुरू कर दिया। इस दौरान उस जमादार द्वारा बैठक में शामिल अधिकारियों के अलावा सशक्त स्थाई समिति के सदस्यों के साथ भी बदतमीजी का प्रयास किया।
बाद में डिप्टी मेयर अखौरी ओंकारनाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव के कड़े रुख के बाद उसे वहां से निकाला गया।उसके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की गई। अब सवाल यह उठता है कि नशे में धुत्त उक्त सफाई जमादार की मेडिकल जाँच निगम के द्वारा क्यों नहीं कराई गई। हालांकि यह कहने के लिए बैठक में कोई भी तैयार नहीं है कि जमादार ने शराब पी रखी थी या नहीं लेकिन दबी जुबान से सभी इस बात की चर्चा करते दिखे । यदि उसी वक्त उसे पकड़कर उसकी मेडिकल जांच कराई जाती तो मामला साफ हो सकता था। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह कि निगम के सभागार में जब सशक्त स्थाई समिति की बैठक चल रही थी तो उस दौरान यह जमादार अंदर कैसे घूस गया। मामला चाहे जो भी हो जमादार की मेडिकल जांच न कराकर निगम प्रशासन ने एक प्रकार से सरकार के पूर्ण नशाबंदी अभियान के महत्व को चोट पहुंचाया है।