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नई दिल्ली : बिहार में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर विशेष शाखा द्वारा जांच करवाने की बात पर बिहार के गृह विभाग ने एडीजी विशेष शाखा से स्पष्टीकरण मांगा है कि सरकार की जानकारी के बिना पत्र कैसे निर्गत हुआ? इससे पहले एडीजी हेडक्वार्टर जीएस गंगवार ने मीडिया के सामने पुलिस का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि इस मामले में पुलिस विभाग, पुलिस मुख्यालय या सरकार को कोई जानकारी नहीं है। पत्र की जांच की जा रही है और इस मामले में जांच के बाद संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई की जाएगी। एडीजी ने कहा कि यह पत्र पुलिस अधीक्षक की तरफ से जारी हुआ है और जिन्होंने पत्र जारी किया वो अधिकारी अभी पुलिस अकेडमी में ट्रेनिंग में हैं, उनका भी पक्ष लिया जाएगा। हालांकि गंगवार ने यह भी कहा कि आरएसएस नेताओं पर खतरा था, इस वजह से डिटेल लिया जा रहा था।
गौरतलब है कि बीते 30 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ लेने के दो दिन पहले बिहार सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सहित विभिन्न संगठनों की आंतरिक जांच कराने को लेकर एक खुफिया पत्र जारी किया गया था। खुफिया विभाग के इस पत्र में बिहार पुलिस की स्पेशल ब्रांच के सभी अधिकारियों से आरएसएस, बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद समेत विभिन्न दलों के नेताओं के नाम, पता, पद और व्यवसाय की जानकारी देने को कहा गया था। इस पत्र में प्रदेश के आरएसएस पदाधिकारियों और 17 सहायक संगठनों की विस्तृत जानकारी निकालने के आदेश दिए गए थे, साथ ही इस पर एक सप्ताह के अंदर जवाब देने को कहा गया था। इस अतिगोपनीय लेटर की कॉपी बिहार पुलिस के स्पेशल ब्रांच के एडीजी, आईजी और डीआईजी को भी भेजी गई थी। इस मसले पर बीजेपी भी अब नीतीश सरकार पर हमलावर है। बीजेपी नेता और बिहार विधान परिषद के सदस्य संजय मयूख ने सदन में सवाल उठाते हुए कहा कि आरएसएस देश की सबसे विश्वसनीय संस्था है और इस संस्था के बारे में खुफिया जांच की बात चौंकाने वाली है।