राजनीति

बिहार में घटा सुशील मोदी का कद, विरोधी को राज्यसभा भेजेगी पार्टी

एजेंसी/ sushil-modi_1458447157पिछले दो दशक में सुशील मोदी को बिहार भाजपा में पहली बार शिकस्त मिलती हुई दिख रही है। सुशील मोदी को राज्यसभा का उम्मीदवार नहीं बनाना उनके लिए उतना बड़ा झटका नहीं है, जितना बड़ा झटका गोपाल नारायण सिंह जैसे उनके कट्टर विरोधी को राज्यसभा का टिकट मिलना है। यह बिहार भाजपा में बड़े फेरबदल के संकेत हैं। केंद्रीय नेतृत्व ने पहले प्रेम कुमार और अब गोपाल नारायण सिंह को वजन देकर सुशील मोदी एंड टीम को सकते में डाल दिया है।
 

गौरतलब है कि गोपाल नारायण सिंह को टिकट मिलने के बाद सुशील मोदी खामोश हैं, वहीं गोपाल बाबू के तेवर और सख्त हो गये हैं। पहले उन्होंने सुशील का नाम लिये बगैर कहा कि एक बड़े नेता ने पिछली बार उनका टिकट कटवा दिया, नहीं तो वो उसी समय दिल्ली जाने वाले थे। सोमवार को मोदी का नाम लेते हुए उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वो सुशील मोदी से पुराने और बड़े नेता हैं।

पार्टी ने उन्हें चुनाव मैदान में इसलिए उतारा था, क्योंकि वो नेतृत्व के चेहरों में से एक थे। मोदी के करीबी एक नेता का कहना है कि सुशील मोदी ने राज्यसभा जाने की तो सहमति दी थी, पर वह केंद्रीय मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री के रूप में जगह चाहते थे। शायद केंद्रीय नेतृत्व को मोदी की यह शर्त मंजूर नहीं थी। जिस वजह से मोदी को टिकट नहीं दिया जा सका। 

बिहार भाजपा में मोदी विरोधी मजबूत हुए हैं, लेकिन परिषद के लिए मोदी के करीबी अर्जुन सहनी का चुनाव यह बताता है कि मोदी लॉबी में अभी भी बहुत दम है। वैसे असली मुकाबला अब प्रदेश अध्यक्ष को लेकर होगा। 

जानकारों का मानना है कि मोदी के बेहद करीबी मंगल पांडेय को लेकर अब संशय है। पहले ये माना जा रहा था कि मंगल पांडेय को दूसरा कार्यकाल मिलना तय है। मंगल पांडेय को लेकर एक राय ये भी रही है कि वो अपना काम बेहतर तरीके से करते हैं। 

ऐसे में पार्टी का समर्थन उनके साथ रहेगा। अब मोदी विरोधी खेमा उनकी दोबारा ताजपोशी में बाधक बन सकती है। ऐसे में अश्विनी चौबे जैसे ब्राह्मण नेताओं को पार्टी की बागडोर सौंपने का दबाव बन सकता है। सूत्र की मानें तो उत्तर बिहार के ब्राह्मणों की नाराजगी दूर करने के लिए जगन्नाथ मिश्र के पुत्र नीतीश मिश्र को भी पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।

 
 

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