दंगों और हिंसा की आग में जलता बिहार अब ठंडा होने का नाम ही नहीं ले रहा है. आजकल देश में दंगों का निर्माण बड़े ही रचनात्मक तरीके से किया जाता है और उससे भी ज्यादा रचनात्मक होता है, उन दंगों को राजनीति की माला में पिरो देना. बिहार के भागलपुर, औरंगाबाद के बाद अब समस्तीपुर और मुंगेर भी इन दंगों की चपेट में आ गया है.
सोमवार को बिहार के समस्तीपुर में धार्मिक जुलुस के दौरान नारेबाजी हो रही थी, जिसके चलते जुलुस के ही ऊपर किसी ने एक चप्पल फेंका. चप्पल फेंकने के बाद स्थिति को संभाल लिया किसी तरह की कोई हिंसा नहीं हुई लेकिन उसके अगले दिन जुलुस के लोगों ने सार्वजनिक तौर पर नारेबाजी कर चप्पल फेंकने वालों को गिरफ्तार करने की मांग की, जिसके बाद हिंसा ने विकराल रूप ले लिया है, जो बाद में दंगों में तब्दील हो गई.
वहीं मुंगेर में माँ चैती दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के दौरान डीजे के गानों को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया. जिसके बाद दो गुटों में पत्थरबाजी हुई. पुलिस ने भीड़ को काबू करने के लिए धारा 144 लगाई और हवाई फायरिंग भी करनी पड़ी. हालात अभी भी वैसे ही है. वहीं कुछ दिन पहले ही औरंगाबाद में भड़की हुई हिंसा अब तक ठंडी नहीं हुई है.