कटिहार : बिहार में गुंडा बैंक के नाम से एक बार फिर बैंक शुरू किया गया है। यह बैंक किसी के द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है लेकिन व्यवस्थित काम करने के कारण इन दिनों चर्चा में है। यह न तो रिजर्व बैंक के नियम-कायदों से संचालित होता है और न ही सरकार का कोई कानून इस पर लागू होता है। गरीब जरूरतमंदों को मामूली लिखापढ़ी पर कर्ज देना और अगले दिन से ही वसूली करना इनका काम है। छोटे दुकानदार व चाय-नाश्ता व पान बेचने वाले इसके सबसे बड़े ग्राहक हैं। एक दशक पूर्व जिले के भोले-भाले गरीब लोगों के गुंडा बैंक के चक्रव्यूह में फंसने के कारण अपहरण, रंगदारी जैसी घटनाएं हुई थीं।
हालांकि 10 प्रतिशत ब्याज पर कर्ज देने की परंपरा देश के कई भागों में है। खास कर दैनिक सब्जी बेचने वाले या फल बेचने वाले खुदरा व्यापारी इस प्रकार का कर्ज लेते हैं। वे सुबह में कर्ज दाता से कर्ज लेते हैं और रात को अपनी आमदनी में से उन्हें कर्ज चुका देते हैं, लेकिन कटिहार में यह संगठित रूप में काम करता है। कटिहार के एक पत्रकार ने बताया कि इस बैंक में पुलिस अधिकारियों का पैसा लगा है इसीलिए यह बेहद संगठित रूप से फल-फूल रहा है। दिल्ली में भी इसी प्रकार के कुछ गुट हैं जो बिहार और उत्तर प्रदेश से आए दिहाड़ी खुदरा व्यापारियों को इस प्रकार का कर्ज उपलब्ध कराते हैं। चंडीगढ़ में इस प्रकार का काम करने वाले कुछ लोग हैं जो किसान मंडियों में सक्रिय हैं। इस प्रकार का धंधा पूरे देश में फल-फूल रहा है, लेकिन कटिहार में बैंक में रुपये रखने की भी व्यवस्था है। कुछ लोगों ने तो यहां तक बतया कि जो लोग यहां रुपये रखते हैं उन्हें अन्य बैंकों की तुलना में ज्यादा ब्याज दिया जाता है।
इस मामले में पुलिस प्रशासन को ऐसे गुंडा बैंक के संचालकों से मुक्ति दिलाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। पिछले चार माह से फिर उसी तरह के कारनामे सामने आने लगे हैं। जिले के कुरसेला, फलका, डुमर, समेली के अलावा कोढ़ा में ऐसे बैंकों के दलाल सक्रिय बताए जा रहे हैं। गरीब इनके झांसे में आ जाते हैं और कर्ज लेकर 10 प्रतिशत मासिक ब्याज के साथ प्रतिदिन उसे चुकाने के लिए तैयार हो जाते हैं। दलाल पासबुक भी देते हैं। कुरसेला के संदीप कुमार, गंगा मंडल, अवध चौधरी, बबलू गुप्ता जैसे न जाने कितने लोग इनके चंगुल में फंस चुके हैं। कई पीडि़तों ने बताया कि एक बार में गुंडा बैंक से औसतन 10 हजार रुपये आसानी से मिलते हैं और दूसरे दिन से लगातार 150 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 80 दिनों तक वसूलकर 12 हजार रुपये ले लेते हैं। कटिहार के एसडीओ नीरज कुमार का कहना है कि अभी तक ऐसे मामले की कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है। बावजूद इसके इसकी पड़ताल कराई जाएगी और इस मामले में दोषी को किसी सूरत में बख्शा नहीं जायेगा। इस मामले को लेकर लीड बैंक प्रबंधक, सीवी गुप्ता ने कहा है कि गुंडा बैंक की जानकारी मुझे नहीं हैं। अगर कहीं से शिकायत मिली तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी। गुंडा बैंक के दलाल ग्राहकों को बताते हैं कि उसकी संस्था सेबी से पंजीकृत है और आरबीआई एक्ट के तहत कार्य करती है। इसके बाद भी वे सादे नन ज्यूडिशियल स्टांप पेपर पर हस्ताक्षर लेते हैं। इसके बाद लोगों को पैसा उपलब्ध करा देते हैं।