बिहार में सबसे मजबूत कौन
लालटेन और तीर के साथ आ जाने के बाद से भगवा पार्टी की अगुवाई में राष्ट्रीय स्तर पर बने गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर खासी चखचख हुई। कोई अपने को महादलितों का एकमात्र नेता बताता था तो दूसरा स्वयं को दलितों का। वहीं एक अन्य दल अपने को पिछड़ों का असली 24 कैरट वाला रहनुमा करार देने से गुरेज नहीं कर रहा था। सभी चाहते थे कि उनको ज्यादा से ज्यादा सीटों पर ताल ठोंकने का मौका मिले, लेकिन भगवा पार्टी के हैवीवेट अध्यक्ष सभी को साथ लेकर तो चलना चाहते थे पर दबाव में किसी के नहीं आना चाहते थे। सीटों के बंटवारे को लेकर रात दो-दो बजे तक चर्चाओं के कई दौर चले। अंतिम सहमति बन जाने और उसकी घोषणा के बाद भी कुछ के मुंह फूले ही रहे, लेकिन इस बीच बिहार चुनाव की रणभेरी बज चुकी थी। भगवा पार्टी अपनी ओर से कोई चूक नहीं करना चाहती है, इसीलिए वह हर कोशिश में लगी भी है, लेकिन इन स्वयंभू नेताओं के अहं में कहीं नैया चुनावी वैतरणी पार करने से रह गयी तो क्या होगा।